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________________ ( २५० ) तवारिख-पावापुरी-और-गुणशिलवनउद्यान. तीर्थकर महावीरस्वामीके चरन मुकीमहै, रास्तेमें-एकमंदिर-मेहताबकुंवर-साकीन-मुर्शिदाबादका तामीरकरायाहुवा शिखरबंद मौजूदहै, और उसमें मूलनायक तीर्थंकर महावीरस्वामीकी मूर्ति करीब (२) हाथबडी तख्तनशीनहै, एकतर्फ तीर्थकर रिषभदेव-और-एकतर्फ-शांतिनाथ महाराजकी मूर्ति जायेनशीनहै, मंदिरके उपर चौमुखाजीकी चारमूर्तिये-शिखर निहायत पुख्ता-जिसपर सोनेका कलश लगाहुवा देखकर दिलखूशहोगा. सामने मीठे जलकाकुवा और एकवगीचा लगाहुवाहै, जिसमें गुलाब-चमेलीबेला-गुलदाउदी--कुंद-जुही--जासूस--वगेराके फुल पैदाहोते है, और हमेशांकीपूजनमें चढायेजाते है. मंदिरके पिछाडी धर्मशाला एक रायबहादूर बुधसिंहजी-साकीन मूर्शिदाबादकी तामीर कराइ हुइ जिसमे चारकोठरी-दोदालान-और-एक-कमरा-बनाहुवाहै, करीब (१००) आदमी इसमेंकयाम करसकते है दुसरी धर्मशाला बाबु मुन्नीलाल दुगडकी इसमें पांचकोठरी-चारदालान-और बीचमे खुलाचौक मौजूदहै इसमें करीब (५०) आदमी ठहरसकते है, कमलसरोवरकी उतरमें एकमंदिर समवसरणका-जिसकीकतावजा निहायत उमदा-आठ मेहरावें-चारोंतर्फ लोहेकीजाली,-मेहराबोकेउपर तरहतरहके शीशे लगेहुवे-मंदिरकेठीकबीचमें शंग मर्मरपथरकी वेदी बनीहुइ और इसमें तीर्थकर महावीरस्वामीके पुरानेचरन तख्तनशीनहै. इसपर पुराना लेखथा, मगर-च-सबब घीसजानेकी वजहसे खुलनहीसकता, मंदिरकीचारोतर्फ (४८ ) चश्मोंका कोट-और-लोहेकाकठहरा बनाहुवाहै, जमीन पथरचुनासे गचीकिइहुइ-और-करीव एकविधेके घेरेमें यहमंदिर आबाद है, केवडेकेद्रख्त सामनेलगेहुवे और इसकी खुशबूचारोंतर्फ महेकरहीहै. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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