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________________ तवारिख-तीर्थ-राजगृही. ( २४३ ) वैभारगिरिपहाड करीव कोसभरऊंचा-और-बनिस्बतचारोंपहाडोंके इसका चढावउतारआसानीपरहै, इसपर अवलमंदिर तीर्थकरवासुपूज्यस्वामीका-इसमें-तीर्थकरवासुपूज्यस्वामीकी मूर्ति करीब (२) हाथवडी परिकरसमेत तख्तनशीन है, दाहनीतर्फ तीर्थकरने: मनाथजीकेकदम जायेनशीनहै, इसकी मरम्मत संवत् (१७७६) में हुइ, बायीतर्फ तीर्थकरशांतिनाथजीकेकदम मौजूदहै, इसकी मरम्मत संवत् (१९०० ) में हुइ, दुसरा मंदिर तीर्थकरमहावीरस्वाभीका इसमें तीर्थकरमहावीरस्वामीकी मूर्ति करीब तीनफुटबडी शामरंगतख्तनशीनहै, और तीर्थकर कुंथुनाथमहाराजके कदमभी इसमें मोजूदहै, इसकी मरम्मत संवत् (१९०० ) में-बाबु मोहनलालजीके बेटे-हकुमतरायजीने करवाइ, तीसरामंदिर तीर्थकरमहावीरस्वामीका इसमें उनकेकदम संवत् (१८७४ ) के प्रतिष्टित-और-तीर्थकर नेमनाथजीकेकदमभी जायेनशीनहै, एकमूर्ति तीर्थकरपार्श्वनाथजीकी करीव (२) हाथवडी शामरंग जायेनशीनहै, यहमंदिर श्रीयुतबाबु परतापसिंहजी-साकीन मुर्शिदाबादने तामीरकरवाया, जोकि-वडा संगीन-और-पायदारहै, इसके चारोंकोंनोंमें चारकदम अलगअलग जायेनशीनहै, इसमंदिरकी दोंनोतर्फ और सामने तीनमंदिर गिरे हुवे विरानपडेहै, पेस्तर इसवैभारगिरिपर बहुतसेमंदिरथे-अबदिन ब-दिन कमहोतेजातेहै, चोथामंदिर चौइस तीर्थंकरोंका इसमें चौइसतीर्थकरोंकी छोटीछोटी (२४) मूर्त एकही परीकरमें तख्तनशीनहै, पांचवामंदिर तीर्थकररिषभदेवस्वामीका इसमें तीर्थंकररिषभदेव महाराजकीमूर्ती तख्तनशीन है, यहमंदिर-ओशवालगंधीगोत्रमाणेकचंद्रजीने तामीरकरवाया, रंगमंडप इसका उमदा और काबिल देखनेकेबनाहै, इसकी उपरकी मंजिलपर नकशा समवसरणकानिहायत उमदाबनाहै-जो-आस्मानसें मशवरा करताहै देखकर असळी समवसरण यादआताहै, छठामंदिर गौतमगणधरका-जो Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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