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________________ तवारिख-तीर्थ-सिंहपुरी-और-चंद्रावती. ( २३१ ) RF ( तवारिख-तीर्थ-चंद्रावती.) बनारसमें सातकोशके फासलेपर गंगाकनारे चंद्रावती एक पुराना शहरहै, रैलमें जानेवालोंकों (१५) मीनीटका रास्ता और इक्के-बगीमें जानेवालोंकों (२) घंटेका रास्ताहै, जिसकी जैसी मरजीहो- जैसाकरे, इक्के-बगीमें जानेवालोको वनारससे (७) मील जानेपर एक मौजा जिसकानाम उमरहाहै मिलेगा, (१२) मील जानेपर चोबेपुर-और-चोबेपुरसे (३) मील आगे-चंद्रावती मिलेगी. आठवे तीर्थकर चंदाप्रभु इसी चंद्रावतीमें पैदाहुचे, चवन-जन्म-दीक्षा--और-केवलज्ञान-ये--चारकल्याणक उनके यहां हुवे, महासेन राजाके घर लक्ष्मणा रानीकी कुखसे पोषवदी (१२) अनुराधा नक्षत्रके रौज उनका यहां जन्महुवा, बहुतअर्सेतक उनोने चंद्रावतीपर अमलदारीकिइ, दीक्षाके अवल एकसालतक उनोने यहां बहुतखैरातकिइ, पोषवदी (१३) के रौज दुनियाके कारोबार छोडकर उनोने यहां दीक्षा इख्तियारकिइ, और फाल्गुनवदी (७) मी के रौज उनकों यहां केवलज्ञान पैदाहुवा, पेस्तर चंद्रावती बहुतबडी नगरीथी, जमाने हालमें छोटासा कस्बा रहगया, दुनियाका यही कारोबारहै कोइ आबाद और कोइबरबाद होताहै, धर्मशाला यहां एक बहुतबडी बनीहुइहै जिसमेंकरीव (५००) आदमी व-खूबी ठहरसकते है, कोठरीये (२०) पका सहन और कोठरीयोंके उपर छतवनीहुइ गर्मीयोंकेदिनोंमें आरामकी जगहहै, यात्री धर्मशालामें कयामकरे, धर्मशालासे करीब (३००) कदमके फासलेपर गंगाकनारे एकबडाखूबसूरत जैनश्वेतांबर मंदिर बनाहुवा है जो मानींद देवलोकके नजरआताहै, इसमे तीर्थकर चंदाममुके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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