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________________ .JAPAMNIA ( २३० ) तवारिख-तीर्थ-सिंहपुरी-और-चंद्रावती. आम-वहां बिल्कुल सुनसानहै, दिनोंकी गर्दीस सबपरहै, जमानेकी खूबी और रदबदल इसीकों कहते है, सिंहपुरीका मंदिर गांवसें थोडीदूर जंगल में बनाहुवाहै, दोधर्मशाला-और बगीचा एकही हातेमें करीब पांचविधेके घेरेमें बनेहुवे,--मंदिरके ठीक बीचमें समवसरणका आकार और उसमें तीर्थकर श्रेयांसनाथ महाराजके केवलज्ञान कल्याणककी निहायत उमदा छत्री देखकर दिलखुश होगा, अग्निकोंनमें जो एकछत्री उपरके भागमें बनीहुइहै अधिष्टायक देवकी मूर्ति उसमे स्थापितहै. नैरूत्य कोनकी छत्रीमें तीर्थकर श्रेयांसनाथ महाराजकी माताकी मूर्ति और चौदह स्वप्नेका आकार शंगमर्मर पथरपर उकेरा हुवा मौजूदहै, वायव्य कोनकी छत्रीमें तीर्थकर श्रेयांसनाय महाराजके जन्मकल्याणककी स्थापना-और-इशानकोंनमे दीक्षा कल्याणककी स्थापना-अशोकक्षका आकार शंगमर्मरपर उकेराहुवा-मौजूदहै, निचेकी एकछत्रीमें तीर्थकर श्रेयांसनाथ महाराजके गर्भ कल्याणककी स्थापना एकछत्रीमें मेरूपरवतका आकार-और एकछत्रीमें तीर्थकर श्रेयांसनाथ महाराजके कदम जायेनशीनहै,___समवसरणकी पश्चिमकों तीर्थकर चंदाप्रभुका एक मंदिर जिसमे मूलनायक तीर्थकर चंदाप्रभुकी करीब ( १ ) फुट बडीमूर्ति त. ख्तनशीनहै, दर्शनकरके दिलखुश होगा. धर्मशालामें करीब ( २०० ) आदमी बखूबी ठहरसकते है, कोठरीये अलग अलग बनीहुइ और उत्तर तर्फकी धर्मशालामें छतभी मौजूदहै, यात्री धर्मशालामें कयामकरे, और तीर्थकी जियारतकरे. बगीचेमें गुलाब चमेली-बेला--गुलदाउदी-मरूआ-जुही--केवडा--चंपा वगेराके फुल पैदाहोते है और हमेशांकी पूजनमें चढायेजातेहै, नोकर-चाकर-चौकीदार बगेरा हमेशां यहांपर बनेरहते है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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