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( १२ )
सवाने-उमरी. शख्शहोताहै, महाराजके दोनोंहाथोंके अंगुठोमें जवका निशान मौजूद है.
जिसशख्शकी ऊंचाइअपनी अंगुलीयोके नापसे (१०८) अंगुलीहो वहशख्श खुशनसीबहोताहै, महाराजकेशरीरकी ऊंचाइ (१०२) अंगुलकी है, ( यानी) पेस्तर एकरसीसे अपनेशरीरकों खडेहोकर नापे-और फिरवहीशख्श अपनेहाथकी अंगुलीयोके बीचकेमुकामसे-नापे-अगर (१०८) अंगुलकी ऊंचाइ हो-तो-जानना दौलतमंद और खुशनसीब शख्शहोगा. अगर (९६) अंगुलतक ऊंचाइहो-तोभी-उमदाहै. और अगर ( ८२ ) अंगुलतक ऊंचाइहोतो-मामुलीदर्जेका आदमीजानना. और इससे कमहोतो-कमनसीव-जानना, जिसशख्शक दाहने-या-बायेपांवके तलवोंमें नवअंगुललंबी उर्द्धरेखा होवे-वह-राजा-या-महात्माहोताहै, महाराजके दोनोपहरोंके तलवोमें नवनवअंगुलकी उर्द्धरेखा मौजूद है, जिसकेपांवके अंगुठेकेनीचे तलवेमें चक्रनिशानहो-वहशख्श हमेशां मुल्कोंकी सफरकरनेवालाहो-येभी-निशानमहाराजके दोंनोंपेरकेतलवोमें मौजूदहै, जिसशख्शकी नाभि गहरी (यानी) उंडी हो वहशख्श हमेशां खानपानसे सुखीरहे, अगर गहरी-न-हो
और उसकाकुछहिस्सा बहारनिकलाहुवाहो-वह-खानपानसे मोहताजरहेगा, ख्वाह मर्दहो-या-औरतहो, महाराजकी नामि बहुत गहरी है, जिसशख्शके मस्तकपर तिलहो-वह-हमेशां इज्जतपातारहे, महाराजकेमस्तकपर तिलकानिशान मौजूदहै, जिसशख्शके दाहनेहाथपर तिलहोवे-वह-शख्शअपनेहाथकी कमाइ दौलतभोगे,
और हमेशां फतेहमंदरहे, महाराजकेदाहने हाथपर उमदातिलहै, जिसशख्शके दाहनेहाथके पंजेपर लहसन-या-तिलहो, तो-वहशख्शबडासखीहोताहै, महाराजके दाहनेहाथकेपंजेपर लालरंगका
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