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________________ सवाने-उमरी. (११) राजका निलाड उंचा और बडाहै, जिसशख्शके पुरेवत्तीस दांतहोवह-खुशनसीबहोताहै, महाराजकेभी पुरे बत्तीसदांतहै. हरेक शख्शके हाथमें जो तीनरेखा होती है उनमें एकउमरकी-दुसरी दौलतकी-और तीसरीइजितकी होतीहै. अगर-ये-तीनोरेखा लंबी और पुरीहो-वह-उमरमें-दौलतम-और-इजितमें पुरा कामयाब होताहै. महाराजकी-ये-तीनोंरेखा-व-मुजब मजकुर तेहरीरके है, जिसशख्शके हाथमें धजाका निशानहो-वह-हमेशां इजितपातारहे, यही निशान महाराजके हाथमेंभी है, जिसशख्शकेहाथमें धनुष्यका निशानहो-उसकी-मुलाकातके लिये बहुतलोग ख्वाहेसमंद बनेरहे, मगरमुलाकातहोना दुसवारहो, महाराजके दाहनेहाथमें धनुष्यका निशानसाफ मौजूदहै, जिसके हाथमें पदमकानिशानहो-वह-अकलमंद-और-शतावधानकरनेवाला होताहै, महाराजके हाथमें पदमका निशानमौजूदहै, जिसके हाथमें त्रिशूलका निशानहो-उसकेआगे धर्मकीवजापताका चले, महाराजकेहाथमे यहभी निशानसाफहै, जिसकेदाहनेहाथकी तीसरीअंगुलीपर चक्रहो-तो-वह-धर्मात्माशख्श होताहै. महाराजके दाहनेहाथकी तीसरीअंगुलीपर हुबहुचक्रहै, जिसशख्शके दोनोहाथोंकी अंगुली-और अंगुठोंमें दाहनेमें दाहनीतर्फ झुकते-और-बायेमेंबायीतर्फ झुफतेहुवे शंखहो-वह-शख्श धर्मात्मा औरदुनियामें मशहूरहोताहै, महाराजकी अंगुलीयोमें शिवाय एकअंगुलीके जो उपरवतलादिइ गइहैऐसेही शंखकेनिशानहै. जिसकेहाथकी-उद्धरेखा-कलाइसेलेकर छोटीअंगुलीतक चलीगइहो-वह-हिम्मतबहादर और मशहूरशख्शहोताहै, महाराजके हाथमेवहीरेखा मौजूद है. जि. सकेदाहनेहाथके अंगुठे जवकानिशानहो-मशहूर-और-अकलमंद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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