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सवाने-उमरी. खिताब पायगें, तीसरे भुवनमें चंद्रमा मित्रक्षेत्री होकर पडाहै और धर्मभुवनकों पुरीतौरसे देखताहै इसलिये दिनपरदिन इनके पराक्रमकी तेजीरहेगी. और धर्मकों तरकी देयगे, दुसरे भुवनमें केतुपडा है इसलिये हमेशां सफर करते रहेगे. एकजगह कयाम-न-करेगे. छठे भुवनका मालिक मंगल-नवमे भुवनमें बेठाहै इसलिये बीमारी और दुश्मनोसे मेहफुज रहेगे-यानी-बचेरहेगे. मिथुनलग्नमें दीक्षा लेनेवाला शख्श आलादर्जेका साधुमहात्मा होताहै, महाराजका दीक्षालग्न मिथुनसिरसोदयी होनेसे जोकाम अपनेदिलमे करनासोचेगे उसकों पुराकरके छोडेगे. ख्वाह मुश्किलहो-या-आसानहो, राहुका सितारा आठवे खानेमेपडाहै इसलिये एक मरतबा महाराज बडे इकबालमंद होगे.-आठमेखानेका मालिक शनि-केंद्रमे बेठाहै, बुध सितारा आफताबका दोस्तहै, और आफताब-बुधका अजहददोस्त है इसलिये महाराजकी उमर लंबीहोगी,
( दीक्षा लग्नका बयान खतम हुवा.) [ अब हस्तरेखा-और--दिगरइशारे जिस्मके
बतलायेजाते है.] जिस शख्शकी अवाज पंचमस्वरमें हो-वह-हरजगह इज्जित पातारहे. महाराजकी अवाज पंचमस्वरमें है, जोशख्श हिंमतबहादूर हो-अकसर-बडानसीबेवाला होताहै, और वह शिवाय परमेश्वरके किसीकी परवाह नहीं करता, महाराजकी हिंमत आलादर्जेकी है. जिसशख्शके हाथ इसकदर लंबेहोकि-जब-वह-खडाहो-तो-गोडेतक ब-खूबी पहुचजाय, वह आलादर्जेका इकबालमंद और आलिमफाजिल होताहै. महाराजके हाथभी गोडेतक पहुचते है. जिस शख्शका निलाड उंचा-और-बडाहो-वह नसीवेवर होताहै, महा
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