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________________ ( २१४ ) दरवयान-इलाहावाद-और-फैजाबाद. हपुर जिलाहै, सन ( १८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त इलाहाबादकी मर्दुमशुमारी (१७५२४६) मनुष्योंकीथी, सिविलकचहरीहाइकोर्ट-पब्लिकलाइब्रेरी-अस्पताल-मेओकोलेज वगेरा खूबसुरत मकानहै, सडके लंबी चौडी-बाजार गुलजार-शामकेवख्त चौक बजारमें बडीरवन्नक रहतीहै. हरेक किसमकी चीजे-जवाहिरातसोनाचांदी-ऊनी-और-रेशमी कपडे यहांपर मिलते है, पुरी-कचौरी-और ताजीमिठाइ जवचाहो तयार मिलेगी, चुरन वेचनेवाले दोहे-कवित्तगातेहुवे अपना चुरन वेचरहे है. जैनचैत्यस्तवमें लिखाहै पेस्तर यहां जैन तीर्थथा, अंगे बंगे कलिंगे सुगतजनपदे सत्प्रयागे तिलंगे, गौडे चौडे मूरीडे वरतरद्रविडे उद्रियाणेच पौढ़े, आद्रे माद्रे पुलींद्रे द्रविडकुवलये कान्यकुब्जे सुराष्ट्र, श्रीमत्तीर्थकराणं प्रतिदिवसमहं तत्र चैत्यानि वंदे, ६, इसमें जो सत्प्रयागे उल्लेखहै इसका माइना यह वाकि-प्रयागमे पेस्तर जैन तीर्थथा, अबनहीरहा, यात्री यहां क्षेत्रस्पर्शना करे, आजकल यहां जैनश्वेतांवर श्रावकोंका कोइ घरनही. व्यापारके लिये आयेगये रहते है, ___ गंगा-यमुना-और-सरस्वतीका जहा मिलापहवाहै-वैश्नव आम्नायवाले उसजगहकों त्रिवेणी बोलते है और तीर्थ मानतेहै, हरसाल माघ महीनेमें यहा वैश्नवयात्री बहुत आते है, टेशनके पास धर्मशाला-और-सराय बनीहुइहै, यात्री जहां दिलचाहे ठहरे, और क्षेत्र स्पर्शनकरके इलाहाबादसे परतापगढ लाइनमें सवार होवे और-टेशन फाफामउ-स्वेत-मउएमा-विश्वनाथगंज-कुरेभारखजुरहाट-बिकापुर-और-भरतकुंड होते फैजाबाद जावे, अवध Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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