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दरवयान-इलाहाबाद-और-फैजाबाद. ( २१३ )
आने लगते है, गंगा-जमना के संगमपर इलाहाबाद एकपुराना शहर और रैलवेका जंकशनहै, इसका दूसरानाम प्रयागभी कहते है, इलाहाबादसे ( ५६४ ) मील पूर्वको कलकत्ता, (३९० ) मील पश्चिमोत्तर देहली और (८४४ ) मील पश्चिम दखन बंबइहै, इस्वीसनके करीब ( ३००) वर्ष पेस्तर जब चीना मुसाफिर मेगस्थनीज हिंदमें आयाथा इलाहाबाद देखाथा. सन (४१४ ) इस्वीमें बौद्धयात्री फाहियानने इसजिलेका हाल लिखाहैकि-यह कोशलराज्यका एक हिस्साथा, उसके (२००) वर्षबाद जब हवांक्तसांग चीना मुसाफिर हिंदमें आयाथा अपने सफरनामेमें लिखाहै उसवख्त यहां (२) बौद्धमठ और बहुतेरे हिंदूमंदिरथे, सन (११९४) इस्वीमें शहाबुद्दीन गहोरीने प्रयागको फतेह किया सन ( १५७५ ) इस्वीमे बादशाह अकबरने इसकी आवादी बढाइ
और इलाहाबाद नाम रखा, गंगा-यमुनाके बिचलेभागमें यमुनाके बाये कनारे निहायत पुख्ता किलाबनवाया, जोअब मौजूदहै, इसकी दिवार ( २० ) से ( २५ ) फीट ऊंची-और-तीनतर्फ खाइ बनीहुइहै. बडा फाटक गुंबजदार और पुख्ता बनाहुवाहै, बादशाह जहांगीरने किलेमें रहकर इलाहाबादकी हकुमतकिइ, जमाने हालमें अंग्रेज सरकारकी अमलदारी यहांपर जारीहै, किलेके भीतर अपसरोंके मकान--मेगजीन--मेंदानमें तोपोंकी कतार-और तरह तरहके गोलोंके ढेर देखपडताहै, पूरवफाटकसे किलेमें जाया जाताहै, एकतर्फ साढेनव फीटऊचा-एकहीपथरका बनाहुवा अशोकस्थंभ खडाहै, और उसपर इस्वीसनके ( २४० ) वर्ष पेस्तरके राजा आशोकका हुकमनामा खुदाहुवाहै,
इलाहाबादसे उत्तरतर्फ परतापगढ, पूरवमें जोनपुर-औरमिर्जापुर-दखनमें रिवांका राज्य-दखनपश्चिममें बांदा-और-फते
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