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( २०८ ) तवारिख-तीर्थ-कौशांबी.
शहर कानपुर इन दिनोनें व्यापारकी तरकी परहै, नये कानपुरसे (२) मील पर पश्चिमोत्तर गंगाके दाहने कनारे पुराना कानपुर आबादहै, बीच दोनोंके कइ वाग और मैदान नजर आतेहै, हरिद्वारसे गंगाकी नहर ( ६३५ ) मील चलकर कानपुरके पासगंगामें आमीलीहै, कानपुरसे एक रैल *लखनउ होकर अयोध्याको गइहै, और एक रैल इलाहाबाद होकरभी अयोध्या गइहै. यात्रीको कानपुरसे भरवारी टेशनके पास कौशांबी नगरीकी जियारतकों जानाचाहिये, जोकि-कानपुरसे इलाहाबादकों जाते रास्तेमें है,
AS [ तवारिख-तीर्थ-कौशांबी, ] कानपुरसे रैलमेंसवार होकर-चाकरी-सारसोल-कारबिगोन बिंदगीरोड-कंसपुर गुंगवाली-मालवा-कुरास्टी कल्यान-फतेपुर
* अबध प्रदेशमें जिलेका सदर मुकाम लखनउ एक उमदा शहरहै, सन-( १८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त लखनउकी मर्दुमशुमारी मयछावनीके ( २७३०२८ ) मनुष्योंकीथी, मकान यहाँके बडे पुख्ता-द्रख्त-बाग-गुंबज-मीनार-और दौलत मंदलोगोके मकानपर सोनेकी कलशीयां दिखपडती है. जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर ( ५० ) और ( ८ ) जैनश्वेतांबर मंदिर यहां मौजूदहै, बहोरनटोला-चुडीवालीगली-सोंदीटोला-और-फुलवाली गलीमें मंदिर बनेहुवेहै यात्री वहांजाकर दर्शनकरे, लखनउका खान पान-बोल चाल-और-पुशाक-उमदा, गोल दरवजेसे अकबरी दरवजे तक बडी रवन्नक देखोगे. हुसेनाबाद-अमीनावाद-शाहनजफ-लीगार्ड-केशरवाग-अजायव घर वगेरा देखनेकी जगहहै.
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