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दरवयान-शहर-कानपुर. (२०७ ) इसतीर्थका कुछअर्सेतक नामनिशान बनारहेगा बहुतसे यात्री बडे बडे तीर्थोकी जियारतकोंजाते है मगर ऐसे तीर्थकी जियारतकोंभी जरुर जानाचाहिये, वहांपरजानेसे तमामहाल बखूबीमालूम होसकेगा,तीर्थ-शौरीपुरकी जियारतकरके यात्री उसीरास्तेवापिस सिकोहाबाद आवे और रैलमें सवारहोकर-करोरा-भदन-बलराइ-जशवं. तनगर-सरायभोपट-इटावा-एकदिल-भरथना--सामहोन-अचल्दा पेंटा-फफूंद-कानचौसी-झींझक--अबियापुर--रुरा-मेथा--भावपुर और पांकी-होतेहुवे-टेशन कानपुर उतरे,
' ( दरबयान-कानपुर ) हाथरस जंकशनसे ( १८८) मील पूरवकों इलाहाबाद विभा गमें गंगाके दाहने कनारे जिलेका सदरमुकाम कानपुर एक गुलजार शहरहै, सन ( १८९१ ) की मर्दुमशुमारीके वख्त कानपुरकी मर्दुमशुमारी मय छावनीके (१८८७१२) मनुष्योकीथी, टेशनसे शहर कुछ फासलेपरहै और सवारीकेलिये इक्का-बगीतयार मिलतीहै, वेठकर शहरमें चलेजाओ. धर्मशाला कइवन हुइ जहां मुभीता देखो कयामकरो, बाजारकी सडकेलंबी चौडी मगर गली ओर रास्तेतंगहै, वडेवडे आलिशान-रंगरौशन कियेहुवे मकान-कोठिये यहां बनी इहै, कपडे बनानेकी कले-और-कइकारखाने यहां मौजूदहै बाजारमें हरेककिसमकी चीजे पुरी कचौरी-मेवा मिठाइशाल दशाले और जेवर जिसचीजकी दरकारहो मिलसकती है, अनाजकी तिजारत यहां ज्यादह होती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोंके घर वीश-और-एक जैनश्वेतांवर मंदिरयहां महेशरी महोलेमें मौजूदहै, जो भंडारी रूगनाथप्रसादजीका तामीर करवाया हुवा काबिलदेखनेके है, यात्री जाकर वहां दर्शन करे, पासमें एकमकान जैनमुनियोंके ठहरनेके लियेभी मौजूदहै,
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