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( २०६) तवारिख-तीर्थ-शौरीपुर. एकमें-तीर्थकर नेमनाथमहाराजके कदम तख्तनशीनहै,-जवतुमारा इक्का शौरीपुर पहुचे जहां सुभीतादेखो कयाम करलो और एक मीलके फासलेपर जमनाकी वीहडमें ऊंची पहाडीपर जाकर तीर्थ शौरीपुरके जैनश्वेतांवर मंदिरोंकी जियारतकरो, जिसमंदिरमें तीर्थकर नेमनाथमहाराज कदम तख्तनशीन है चारोतर्फ इसके चबुतरा बनाहुवा है, पुरानेकदम अवनहीरहे, संवत् ( १९०५ ) के प्रतिष्टित मौजूद है इसके दर्शनकरे, चारमंदिर जो खालीपडे है उनकी कारीगिरी और खूबसुरति क्या उमदा बनी इहै मगर मूर्तिके न होनेसे विरानहोगये, दिवारे देखोतो क्या ! पुख्ता-और-इटेंबतौरतांवेंके चमकरही है, जैनश्वेतांबराचार्य हीरविजयसूरिजी जबकि-यहां तशरीफलायेथे और जियारतकिइथी बडाजलसाहुवाथा, और तीर्थका जीर्णोद्धार करवाया गयाथा, जिसबातकों आजकरीब साढेतीनसोवर्षके होगये, इनदिनोंमें मरम्मत होना दरफार है,. इस मंदिरकी जेरनिगरानी लश्कर ग्वालियरके जैनश्वेतांबर श्रावफलोग रखते है, पूजारीवगेराका-ही-बंदोबस्तकरते है, शौरीपुरका रहनेवाला एकशख्श जो हमेशां एकमील जंगलमेंजाकर उसमंदिरकी पूजाकर आताहै, और उसकों सालीयाना तनख्वाह जो उनकेवहांसे मुकररहै देतेहै, जगह निहायतपाकीजा देखकर दिलखुशहोगा, एकदिन वोथा इसमुकामपर बडेबडे राजेरहीश और दौलतमंद यात्री यहांआतेथे, आज वोजगह मानो! विरान और उजाडपडी है एकजैन वेतांवर धर्मशाला यहांपर बननाजरुरी है, कोइखुशनसीब सखी यात्री इसतीर्थमें ( १०००० ) रुपये सर्फकरे इसतीर्थका उमदातौरसे जीर्णोद्धार होसकताहै, पांचहजारमें धर्मशाला कायमकरे पांचहजारमंदिरकी मरम्मतमें लगावेतो अलबते !
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