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________________ Ans.MAAWAAAA ( १९८ ) तवारिख-तीर्थ-कपिलपुर. .... द्रुपदराजाकी कुंवरीद्रौपदी इसी कंपिलपुरमें पैदाहूइथी, और उसका स्वयंवर मंडप यहांही रचागयाथा, जो खन्नक और आवादी पेस्तरथी अब नहीरही, आजकलकरीब (६००) घरोंकी आबादीका कस्वा रहगया, जैनश्वेतांबर श्रावकोका घर एकभी नहीरहा, बाबु छोटालाल सरूपचंद साकीन लखनउका तामीर करवायाहुवा-तीर्थकर विमलनाथ महाराजका बडाआलिशान मंदिर यहां पर मौजूद है, जिसकोअंदाज पचास वर्ष हुवेहोगे, पेस्तर जबकिचक्रवर्ती राजाओका जमानाथा बडेबडै जैन मंदिर और मूर्तिये यहांपरथी, तीर्थो यह अकसर होता चलाआया एक मंदिर पुराना होकर गिरगया किसी खुशनशीबने उसकों फिरसे बनवाया, इसीतरह तीर्थ कायम बनारहताहै, इसमंदिरमें मूलनायक तीर्थकर विमलनाथ महाराजकी मूर्ति तख्तनशीनहै, दोनोंतर्फ दो-मूर्तितीर्थंकर चंदाप्रभुकी और आगे तीर्थंकर महावीर स्वामीकी मूर्तिभी इसीवेदीमें जायेनशीनहै, दर्शनकरके दिल खुशहोगा, अतराफ मंदिरके कोट पकाबनाहुवा-और-चारकोनेमें चार छत्रीये कायमहै उनमे तीर्थकर विमलनाथ महाराजके-चवन-जन्म-दीक्षा-और केवलज्ञान-ये-चार कल्याणक और-उनके-कदम जायेनशीनहै,मंदिरके कोटके नीचे एकतर्फ इसकदर खड्डा होगयाहैकि-चारीशके दिनोमें पानीकी मारसे कोटको खतराहै, अगर पथर और चुनेसे उसखड्डेकों भरादिया जाय और पानीके जानेका रास्ता बनादिया जायतो कोटकीहिफाजत बनीरहेगी और तीर्थ कायम रहेगा, बडे तीर्थोमें बहुतसे मंदिरवनेहुवेहै मगर ऐसे तीर्थोंमें नया मंदिरवनाना या-पुराने मंदिरकी मरम्मत कराना बडेपुन्यका कामहै, धर्मशाला यहांपर एक निहायत पुख्ता भंडारी मुंनालाल साकीन फरक्काबादकी बनवाइडइ मौजूदहै, जिसमें ( २५० ) आ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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