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________________ (८) सवाने-उमरी. इकवालमंदशख्स दुनिया होते है-तो अंदाजकियाजाताहैकि-इनकेऐसेहोनेका सबब पूर्वजन्मका संस्कारहै, और-है-भी-ठीककि-विना पूर्वजन्मके संस्कारके ऐसाहोना दुसवारहै, इसदुनियामें एकसेएकआलादर्जेके शख्स होगये और आगेकोभी होयगे. इसमेंकोइशक नही, जन्मलेनाभी उनहीकासफलहै-जिनकेशरीरसे-कुल-जातिगांव-नगर-औरमुल्कको धर्मकाफायदा पहुचाहो, इनहीखुशनसीव और-इकबालमंद-महापुरुषोंकी गिनतीमें हमारेचरितनायक-महाराज-शांतिविजयजीभी है--दुनिया मोहरुपी जंजीरसे जडीहुइहै. जहांआराम वहांतकलीफलगी है, युवानी बुढापेसेघीरीहै, सुखदुखकाचक्र हरचीजपरचलरहाहै, दुनियामें उमदाचीजहै-तो-धर्म है, जिनकों धर्मप्यारा होताहै-वेही-दुनियाको छोडकरदीक्षा इख्तियारकरते है, संवत् (१९३६)-शाके-(१८०१ )-वसंतरुतु वैशाखसुदी१० गुरुवारघटी-४२-५७-मघानक्षत्रघटी-१७-४७-ध्रुवयोगघटी ५०-३६-तैतलकर्ण-एव पंचांगशुद्धिः-दिनमानघटी-३३-४-दिनार्द्ध-१६-३२-रात्रीम.न-२६-५६-उभयघटी-६०-पूर्ण, सूर्योदयसे इष्टघटी-१०-४० ( लग्नघटी) २-२३-९-२० सूर्यघटी ०-१८-२७-५२-महाराजकी दीक्षाका वख्तहै, ॥ दीक्षा लग्नका चक्र ॥ - 10. Jan मा - ०२० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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