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________________ . सवाने-उमरी. (७) राभी खानापीना नहि. मुल्कोमें फिरकर धर्मकी वाजकरना. और एकजगह मुकीमहोकर नहीरहना. अगर कोई अपनेकों इजापहुचावे तो गुस्सेकी एवज में रहमकरना. शिवाय परमेश्वरके दुसरेकी परवाह नहीरखना. किसीको गाली नही देना, तोहमत नहीलगाना. किसीको धोखा नहींदेना. चुगली नहीं खाना--और-किसीकेशाथ लडना-झघडना नही, मगर धर्मके अवर्णवाद बोलनेवालोकेशाथ बहेसकरते वख्त सख्त-वात कहनापडे तो उसकी मना नही है. हमेशां भिक्षामांगकर अपनी सीकमपरवरीश करना और वख्तपर जोकुछ मिलजाय उसपर शबकरना, सोनेचांदीके जेवर-वा-जवाहिरात वगेरा नहीपहनना, और हमेशां सिर खुला रखना, 8 ( जैनमुनियोंके कायदे खतमहुवे,-) । दुनियाछोडकर दीक्षाइख्तियारकरना सहजबातनहीं है, जवानीमें एशआरामकोछोडना और धर्मपरपावंदहोना बडेबहादूरशख्शोका कामहै-उमदापुशाक और उमदाखाना छोडकर साधुपने का वेशपहनना और घरघर भिक्षामांगना-अगरधर्म प्यारा-न-हो तो ऐसाकोनकरसकताहै, ? महाराजकी तकदीरहम आलादर्जेकी समझते है जिनोनेजवानी में घरछोडकर जंगलकीराहलिइ. ऐसेइकबालमंद और वहादुरशख्शकी सवानेउमरीलिखना यहभी एकअछीतकदीरके ताल्लुकहै, आपलोगोने अकसर कइजीवनचरित देखे होगे-मगर-जिसमे यथार्थवात दर्जकिइगइहो-वही-चरित लाइक तारीफके होताहै,-इसदुनियामें जोकुछफायदाधर्मका-गुरुलोग-पहुचासकते है रिस्तेदारऔर कुटुंबकेलोगनही पहुचासकते, इसीसबवसे हमने इससवानेउमरीको लिखनेकेलिये कलमउठाइहै. महाराजकी सवानेउमरी ऐसीहैकि-अगर इसकोबांचकर कोइ उसपर अमलकरतो निहायतफायदा उठासकेगा, जबकोइखुशनशीब और Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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