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________________ दिवाचा. (५) कल्याणिक भूमि, २-मुनिमहाराजोकी निर्वाण भूमि और ३-अतिशय युक्तक्षेत्र, ___कइ जैनतीर्थ जमानेहालमें कमजोरहोगयेहै, उनकी मरम्मतहोना दरकारहै, कहपुराने जैनतीर्थोके नाम निशानभी नजर नहींआते, ज्ञानियोका फरमानाहैकि-किसीचीजकी हालत हमेशां एकसरखी नहीरहती तीर्थकर रिषभदेवसे लगाकर महावीरस्वामी तकका इतिहास देखोतो कल्पसूत्र और त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरितमें मिलेगा, सूत्रआवश्यक-नियुक्तिमे लिखाहैकि-पुरिमताल नगर जोकि-अयोध्याका शाखानगरथा, एक-वग्गुरनामके श्रावकने वहांपर तीर्थकर मल्लिनाथजीका मंदिर तामीर करवायाथा, जमाने अखीर तीर्थंकर महावीरस्वामीके राजा श्रेणिक राजगृहीके तख्तपर अमलदारी करताथा, वह पेस्तर जैननहीथा, मगरपीछे तीर्थकर महावीरकी धर्मतालीमसे जैनमजहबपर पावंदहुवाथा, श्रेणिकका बेटा जिसकानाम कौणिक-वा-अजातशत्रुथा, वह-जैनथा, और उसने अपनीराजधानी चंपानगरीमें कायम किइथी, कोणिकका बेटा उदायीहुवा, यहभी जैनमजहबपर साबीतकदम था, और इसने अपनी राजधानी शहर पटनेमें कायम किइथी, उदायोके तख्तपर नंदनामका राजाहुवा उसकी राजधानीभी पटनाहीरही, बादउसके आठराजे नंदनामकेही पटनाके तख्तपर होतेरहे, भुपावली ग्रंथमें लिखाहैकि-नवनंदोनेपटनेकेतख्तपर ( १५५) वसंतक राज्यकिया, नवमें नंदको चंद्रगुतने शिकस्त दिइ, ओर पटनेके तख्तार अपना अमल दरामदकिया वह मौर्यवंशके खानदानका था, बंगालहातेके प्रांत उडीसामे करीब शहर कटकके उदयगिरिपर कईपुरानी गुफाहै, इनसबमें हाथीगुफानामको एकबडीगुफाहै जिसमे सतरां पंक्तियोका एकबडा शिलालेख चैत्रवंशके कलिंगराजा खारवेलका मोजूदहै, इस गुफामें दुस Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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