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________________ ( १८० ) तवारिख-तीर्थ-हस्तिनापुर. है. और द्रख्तभी बडेबडे बुलंद और-पुख्ता-मोसमगर्मामेंभी यहां पर बनिस्पत दिगरमुल्कोके गर्मी कमपडती है, बल्कि ! शुभहके वख्त किसीकदर शदीभी मालुमहोती है,-मोहानागांवसें आगे एक मौजा-जिसकानाम गणेशपुरा है,-मिलेगा, US [तवारिख-तीर्थ-हस्तिनापुर ] हस्तिनापुर एक पुराना शहरहै-तीर्थकर रिषभदेव महाराजने साधुपनेकी हालतमें वैशाख सुदी तीजके रोज अपने वार्षिक तपका पारना यहां कियाथा, तीर्थकर शांतिनाथ महाराज इसी हस्तिनापुरमें पैदाहुवे, चवन-जन्म--दीक्षा-और--केवलज्ञान-ये चार कल्पाणिक उनके यहांहुवे, विश्वसेन राजाके घर अधिरा रानीकी-कुखसे जेठबदी (१३) भरणी नक्षत्रके रौज उनका यहां जन्महुवा, तीर्थकर शांतिनाथ महाराज चक्रवर्ती पदवीके धारक हुवे और बहुत अर्सेतक उनोने यहांपर अमलदारीकिइ, पेस्तरदीक्षालेनेके एक सालतक उनोने यहां खेरातकिइ, और जेठ वदी ( १४ ) के रौज दुनिया फानीसरायकों छोडकर उनोने यहां दीक्षा इस्तियार किइ, पौष मुदी (९ ) के रौज उनोकों यहां केचल ज्ञान पैदाहुवा, इंद्रदेवते वगेरा उनकी खिदमतमें हाजिर होतेथे,-सतराहमें तीर्थकर कुंथुनाथ महाराजभी इसीहस्तिनापुरमे पैदाहुवा,-चवन-जन्म-दिक्षा-और-केवलज्ञान--ये-चारकल्याणक उनके यहांहुवे, सुरराजाके घर--श्रीरानीकी कुखसे वैसाखवदी (१४) कृत्तिकानक्षेत्रके रौज उनका यहांजन्म हुवा, तीर्थकर कुथुनाथ महाराजभीचक्रवर्ती पदवीके धारकथे, और बहुत अर्सेतक उनोने यहांपर अमलदारी किइ, दीक्षाके. पेस्तर एकसाल तक बरा बर उनोनेयहां खैरात किइ, चैतवदी (५) के रौज दुनियांके एशआराम छोडकर उनोने यहां दीक्षा इख्तियारकिइ, चैतसुदी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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