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बयान-शहर-देहली. ( १७९ ) कुतुबलाटके पास एक-लोहकी छोटी लाटभी-खडीहै इसपर राजा धवके प्रतापका वयान लिखाहुवा दुसरे लेखमें-संवत् ( ११०९) दुसरे अनंगपालका-और-आठमी सदीके पहलेके अनंगपालका नाम दर्ज है, इससे सबुतहुवा-पहले अनंगपालने इसको तामीर करवाइ होगी, इसकी ऊंचाइ ( २२ )फुटकी-और चौडाइ (१६) इंचहै,
देहलीके जैनमंदिरोके दर्शनकरके-यात्री-तीर्थहस्तिनापुरकी जियारतको जावे, देहलीसे-शाहदरा-गाजियाबाद-मुरादनगरबेंगमाबाद-महीउददीनपुर होतेहुवे मेरटसीटी टेशनपरउतरे,-रैलकिराया सातआने-नवपाइ, जिलेका सदरमुकाम मेरट एकबडा शहेरहै, सन (१.८९१) की मर्दुमशुमारीकेवख्त-मेरटकी मर्दुमशुमारी (११९३९०) मनुष्योंकी-बाजार बहुतवडा और जिसचीजकी दरकारहो यहां मिलसकती है,-मेरटमें हरतरहकी तिजारतहोती है जैनश्वेतांबर श्रावकोकी आवादी यहांपर नही-न-जैनश्वेतांबर मेंदिरहै, बहारशहरके धर्मशाला मौजूद है यात्री इसमें कयामकरे,
और दुसरेरौज तीर्थहस्तिनापुर-जानेकी तयारीकरे, जो (१८) कोशके फासलेपर खुश्कीरास्ते वाके है,-अबवहां-न कोइवाशिंदा है-न-इमारते है,-सीर्फ ! मंदिर और धर्मशाला बनीहुइ है, मेरटसे सवारी हरकिसमकी दस्तयाब होसकती है, जिसकदर रुपयाखर्च करोगे आरामपाओग. मगर बखीलोंका रास्ताही अलायधाहै, न-वे-खासकते है-न-पुन्यकरसकते है. शुभहके गयेहुवे यात्री शामकों-खास हस्तिनापुरमें पहुचसकेगे. मेरटसे मोहानागांव तक पकी सडकमिलेगी, आगे छकोश कचा रास्ता है, खास ! हस्तिनापुरकेपास रेतकारास्ताभी मिलेगा, सडककी दोनोतर्फ हरकिसमके दख्तलगेहुवे गंगानदीकी तरावटसे हमेशां यहां सब्जीबनीहुइ
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