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वयान - शहर-देहली.
कदर उमदावनता है - जो - दुसरीजगह - कमदेखोगे, -- हरेक किसमकेमेवेtators- garain मौजूद है और चोराहेपर चुरनवेचनेवाले दोहेकवित्त बोलकर अपने चुरनकी तारीफकरते है, शामकेवख्त तरहतरहके खु मचेवाले और कुलगजरे बेचनेवाले बाजारमेंनजर आते हैं, और शौकीन लोग - उमदा से उमदा कपडे पहनकर हवाखोरीकेलियेनिकलते है, खानपान - बोलचाल - और - पुशाकयहांकी निहायतउमदा - बीचशहरके irtanहुवा और इसकी अवाज दूरदूरतक जाती है, -सन (१८९१) कीममशुमारीमे देहलीकी मर्दुमशुमारी मयछावनीके (१९२५७९ ) मनुष्यों कीथी, जैन श्वेतांवरश्रावकों केघर करीव (१००) और (२) जैश्वेतांबर मंदिर यहां परवने हुवे है, बडामंदिरम होले नवघरे में और छोटा अचेल पुरीमे, जोकोइ जैन श्वेतांबर यात्री देहलीमें कदमरखे अवल नवघरे जावे और मंदिर के दर्शन करे, देहली से (४) कोशके फा सलेपर छोटे दादाजी की छत्री - और - कुतुबलाट - महरोली के पास
दादाजी छत्री बनी हुइ है कुतुब मिनार जिसकों कुतुव लाट बोलते है देहली से करीब (१०) मील के फासलेपर मौजूद है, पेस्तर छमंजिलबी, भूकंप से उपरका हिस्सा कुछटुटगया, सन (१८२९ ) में फिर बनाया गया पेस्तर ( २५० ) फुट ऊचीथी अब ( २४० ) फुट रहगई, इसकी पांच मंजिले अब कायम है, तीनमंजिलोंमें लालपथर लगा हुवा उपरकी दोमें सफेद मारवल पथर लगा है और इसके भीतर चकरदार सीढीयें बनी हुई जिसके जरीये उपरसीरे तक जासकते हो जब उपर चढकर चारोंतर्फ नजर करोगे-गांवनगर बागबगीचे - तो केझुंड - सडक-और-नदीयां वगेरा देखकर तबीयत खुशहोगी, और यह मालूम होगा कि मानो ! आस्मानकी सैको चले है, देहलीकी इमारतें - आसपासके मुकबरे - और - पुराने खंडहर टुटेफुटे मकानात देखकर पुराना जमाना याद आता है, -
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