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तवारिख-तीर्थ-हस्तिनापुर. ( १८१ ) ( ३.) के रौज उनको यहां केवलज्ञानपैदाहुवा, इंद्रदेवतेवगेरा उनकी खिदमतमें आतेथे,____ अठारहमें तीर्थंकर अरनाथ महाराजभी इसी हस्तिनापुरमें पैदाहुवे, चवन-जन्म-दीक्षा-और-केवलज्ञान-ये-चार कल्याणक उनके यहां हुवे, सुर्दशन राजाके घर-देवीरानीकी कुखसे मृगशीर्ष मुदी (१०) रेवती नक्षत्रके रोज उनका यहां जन्महुवा, तीर्थकर अरनाथ महाराजभी चक्रवर्ती पदवीके धारकथे और बहुत अर्सेतक उनोने यहांपर अमलदारी किइ, दीक्षाके पेस्तर एकसालतक उनोने यहांबहुत खैरातकीइ, और मृगशीर्ष सुदी (११) के रौज दुनीयवीकारोबार छोडकर उनोने यहां दीक्षा इख्तियार किइ, कार्तिक सुदी (१२) रोज उनोकों यहां केवलज्ञान पैदाहुवा, उनकी खिदमतमें इंद्रदेवता हाजिर रहतेथे, ___ उन्नीसमें तीर्थकर मल्लिनाथमहाराज यहां तशरीफ लायेथे, और उनका समवसरण यहांपरहुवाथा,-कौरव-पांडवोका युद्धइसी हस्तिनापुरके मेंदानमें हुषाथा, मुभूमचक्रवर्ती इसीहस्तिनापुरके तख्तपरहुवा, बडीबडी अजुबाबाते यहांपर गुजरचुकी है. बहुत खुशनसीब-इकबालमंद-भालीम-फाजील-जमामर्द--दलेर-और-- बहादूरशख्श यहां पैदाहुवे कहांतक लिखे ? कार्तिकशेठ-इसी हस्तिनापुरके रहनेवालेथे, महर्षि-दमदंत--यहांपर तशरीफलाये और मुकम्मीलइबादत यहांपरकिइ, ऐसीऐसी जडीबुटीयें यहांजंगलमें खडी है जिनके पहिचाननेवाले नहीरहे, तीनतीन-चारचार कोसकेघेरेमें बहुतसी नासपातीयोके द्रख्त, मशलन ! जामुन-अमरुद-अनार-शरीफे-अमरख-शंबल-शिशम--बेल वगेरा हरकिसमके पेंड यहांपरखडे है, पटेराके पेंड जिसकी चटाइ बनजाती है यहां कसरतसे देखोगे,-अय्यामवारीशमें कभीकभी यहां-जवाहि
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