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दरबयान-शहर-जयपुर. (१७३ ) यात्री वापिस मेरटारोड और मेरटारोडसें फूलेराजंकशनआवे रैल किराया पेस्तर बतलाचुकेहै,-फुलेरासें जयपुरके लिये रवाना होवे क्योकि-देहली होकर तीर्थहस्तिनापुरकी जियारतकों-जाना होगा मगर रास्तेमें जयपूर शहर काबिल देखनेकेहै, वहांके जैनमंदिरोके भी दर्शन करना चाहिये-फुलेरासे-रैलमें सवारहोकर-हरनोदाआसलपुर-उगरीयावास-धांकिया-और-कनकपुरा होतेहुवे जयपुर टेशन उतरना. रैलकिराया छआना,
3' ( दरबयान-शहर-जयपुर.) - राजपुतानेके देशीराज्योंमें जयपुर एक गुलजार राज्यहै. करीबटेशनके एकउमदा धर्मशाला बनीहुइहै. मगर जैनश्वेतांबर यात्रीकों शहरमे जाना बेहतर होगा. टेशनपर इके-बगी-तयार मिलते है, सांगांनेरी दरवजेके पास जो शेठ-नथमलजीकी धर्मशाला बनीहुइहै जाकर उसमें कयामकरे, सन् ( १८९१) की-मर्दुमशुमारीमें-जयपुरकी मर्दुमशुमारी (१५८९०५) मनुष्योकीथी, शहरकी लंबाइपूरव-पश्चिमदो-मील-और-चोडाइ उतर दखन देडमील होगी, बहुतसी सडकें वसी-और-लंबी, बाजार इसउमद. गीसे बनेहै मानो! कारीगिरोने अभीबनाकर तयारकिये है, हरेक सादर-नादरकेमकानमें--आरामगाह-नाहनेधोनेकीजगह--औरनसीस्तगाह ऐसे उमदा बने है जोदिगरशहरमें कमदेखोगे, जहोरी बाजार-हवामहल-रामगंज और त्रिपोलीया वगेरानामी बाजारहै, जिसमें सांगानेरीदरवजेसें-हवामहेलहोतीहुइजो आमेरीदरवजेतकसडकगइहै बडीरवनकपरहै. बडेबडे आलिशानमकान-वेलबुटे
और-चित्रकारी -झलकरही है, हरेककिसमके-मेवे-मिठाइ-औरमालअसबाब-यहांमिलसकताहै, हिंदुस्थानमें बहुतशहर देखेहोगे मगरइसकी कतेवजेभी एकनिराली है, बाजारकीसडके इतनीसाफ
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