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________________ ( १७४ ) दरवयान - शहर - जयपुर. कि- जहां- गर्देका नामनही. जयपुरके मकानोंकी कहांतक तारीफ करे हरमकान पर रंग और चित्रकारी बनी हुई है, हरजगह पानी के नल और - रातको सडकॉपर लालटेनोंकी रौशनी होती है, जयपुर के राजमहल बडे उमदा - और कींमती क्या ! उमदाबावनकचहरियांजिनकी कते जे निराली है, देखकर ताज्जुब होगा, tradiatoranोकेघर करीब ( १२५ ) और - जहोरीबाजार मेचीवालो के रास्ते पर - दो - जैन श्वेतांबर मंदिर बने हुवे है, जिनकी कारीगीरी - नक्शकारी-शंगमर्मरपथरका काम-वेलबुटे-और-चित्रकारीदेखकर दिलखुश होगा. – जैन श्वेतांबरमुनिजनो के लिये ठहरनेके कइमकान यहां पर है, घाटदरवजेके आगेकरीव (२) मीलके घेरे में - घटनामसे एक उमदा जगह बनी हुई है जहांपर अकसर बडेबडेआदमयोंकी गोठहुवाकरती है, और खानपान बनता है, चाहे दुकाल पडे तोभीवहां आनंद बंधनही होता, रास्ते मेंदुतर्फा जालीदारमकान बीच सडक - मकानोपर तरहतरहकी मेहराबे - महल - बागात - पानीकेहोज - चिश्मे आब - और - सडकपर फर्सपथरका लगा हुवा - जगह सोहावनी है, एकजैन श्वेतांबरमंदिर यहांपर वेंशकीमती बनाहुवायाश्री इसकेदर्शन जरुरकरे, जयपुरमे हरजगह इक्का - बगी - किरायेपर तयारमिलते है, - बेठकर जहां-जी - चाहे सैरकरलो, - सांगानेरीदरवजेके बहार - रामनिवासबाग - काबिलदेखनेकी जगह है, अजायबघरभी इसमें मौजूद है, जिसमें दुनिया की अजनवी चीजेरखीहुइ देखकर दिलकों औरही असरहोती है, खास ! ग्रहवैध मकानकानकशा, तरहतरहकेसीके - नकली आदमी-शंगमर्मरका बनाहुवा आगरेका ताजमहल - हिंदुस्थानके तमामदेवताओंकी मूर्त्ति तीर्थकरोके समवसरणका आकार - शंगमर्मरका तामीर कियाहुवा निहायत उमदा है, मुल्कबर्माका बना हुवा चांदीकाकाम-सिंहलद्वी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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