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( १७२ ) बयान-नागोर-और-विकानेर. मशुमारी (५६२५२) मनुष्योंकीथी, शहरपनाहके फाटकसे करीब ( ३०० ) गजके फासलेपर एककिला-जिसमे उमदा राजमहेल-तामीर कियेहुवे-और-अतराफ उनके पुख्ता खाइ मौजूद है, विकानेरमें-कइकुवे जैसे है, जिसमे ( १५० ) या ( २०० ) हाथ तकलंबीरसी लगती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर विकानेरमें अंदा ज (१०००) होगे जैनश्वेतांबर बडेबडे मंदिर (८) और (२०). के अंदाज छोटे है, बडेमंदिरोमें तीर्थकर रिषभदेवजीका-मांडासरजीका-तीर्थकर नेमनाथजीका महाविर स्वामीका शांतिनाथजीका बडेआलिशानहै, जैनश्वेतांबर मुनियोकों ठहरनेकेलिये पोषधशालाएक-पंचायती और करीब (१०) बडेछोटे उपाश्रयहोगें, जैनपुस्तक लिखनेवाले लिखारी यहांभी-अछेअछे मौजूदहै. और चाररू पये हजार श्लोक लिखतेहै, विकानेरके (२) बाजार अछेगुलजारमीसरी विकानेरकी निहायत उमदा-और-चुरनभी यहांका नामी बनताहै, किलेके पास सुरसागरतालाव-एकअछी जगहहै, ___इसरियासतमें नदीयें कम-वारीसके जलपर लोगज्यादह भरूसा रखते है, पोखरोमे-और-कुंडोमें-वारीशका जल-इसकदर भररखते है जो गर्मीयोके दिनोंमें बहुतकाम देताहै, वैशाख-जेठमे गर्मी-इतनी सख्तपडतीहै-और-इसकदर हवा चलती हैकि-कहींकहीं बालुरेतके टीवे जमाहोजाते है. असलमें इसमुल्कमें बालुरेत ज्यादह-और यहांकी फसल बाजरी-मोठ-तरबुज-खेलरे ककडी-कर-सागरी वगेराहै,-घोडे यहांकेबडे मजबूत-हाथीदांतकी चुडीयां और कंबल मुल्कोंमें मशहूरहै,-चारीशके दिनोंमें मुल्क हराभरा होजाताहै. विकानेरसे (२०) मील दखन-पश्चिमकीतर्फ एक-गजनरझील-हमेशांमीठेजलसे भरीहुइ बाग-बगीचे-हरीयाली और उमदाजगह बनीहुइहै,-विकानेरके जैनमंदिरोके दर्शनकरके
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