SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 289
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बयान-नागोर-और-विकानेर. (१७१ ) मुल्क मारवाडमें नागोर एकपुराना शहरहै, अतराफ शहरके पकाकोट खीचाहुवा, (६) दरवजे और (२) बारीयेमौजूदहै, कपडा बाजार-सराफा-पसारीबाजार-और-धानमंडीरवन्नक लियेहै, दर मियान शहरकोकिलेमें राजमहेल-मोतीमहेल-और त्रिपोलीयादरवजा काबील देखनेके है, जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर करीब (४००) और (५) जैनश्वेतांबर मंदिरयहां बनेहुवेहै, सबसे बडामंदिर तीर्थकर रिषभदेवजीका-इसमें-तीर्थकर रिषभदेवजीकी सर्वधातमय मूर्ति तख्तनशीनहै, दुसरा मंदिर ढाडीवालोंके महोलेमे-तीसरा घोडावतोकेमोहलेमे और-दो-दफतरीयोके महोलेमे यात्रीइनमें जाकर देवदर्शनकरे. माहीदरवजेके बहार यतिजी रूपचंदजीका तामीर कियाहुवा-और-इसकेआगे आधमीलके फासलेपर छत्री दादाजीकी-और नजदीकमें बगीचा-हौजवगेरा बनेहुवे है, नागोरमें वख्त सागर-गिनाणी-और-शम्पस-ये-तीनतालाव मशहूर है, गर्मीयोके दिनोंमें बहुत कामदेते है, शहरमें मुनिजनाके ठहरनेके लिये कइमकानहै, जैनपुस्तकोके लिखनेवाले कइलिखारी यहां रहते है, चार रूइये हजारश्लोक लिखेगे, मगर कागजका खर्चालिखाने वालोके जुम्मे होगा, नागोरके जैनमंदिरोके दर्शनकरके-यात्री-वापिस टेशनपर आवे और शहर विकानेरकों रवानाहोवे. बुदवासी-अलायभग्गु-बिकासर-मुरपुरा-और गीगासर-होतेहुवे-टेशन विकानेर परउतरे, रैलकिराया साढे बारह आने लगते है, मुल्क मारवाडमें विकानेर शहर पथरीली जमीनपर वसा हुवाहै, श्रीयुत-विकारावजी महाराजने इसकों आबाद किया इसलिये विकानेर कहलाया. विकारावजीका जन्म सन (१४३९) इस्वीमें हुवाथा, पांचदरवजे और तीनतर्फ इसके पुख्ता खाइ बनी हुइ है,-सन (१८९१) की-मगथमारीमें विकानेरकी मk Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy