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________________ ( १७० ) तवारिख-तीर्थ-फलौदी. पर लाइजाती है, और वहां पूजन होनेकेबाद शामको वापिस मंदिरमें आतीह. जिसकी अछीतकदीरहो औसे मौकेपर जियारतकरे, मंदिरकेपास मीठजलका कुवा और एकगुलजार बाग बनाहुवाहै. मोर-तोत-चिडिया वगेरातमाम किसमके परीद यहां हरवख्त कलोले करते रहते है, और दाना चुगनेकोभी उनकों यहां मिलताहै, कइदके इसतीर्थपर मुसीबतें आइ, मगर बदौलत देवधर्मके सब रफाहोतीगइ,-फलौदी तीर्थकी जियारतकरके टेशन मेरटारोडपरआना-और अगर फुरशतहोतो-मेरटासीटी-नागोर और-विकानेर जाकर वहांके मंदिरोंके दर्शनकरना, मुल्क मारवाडमें-ये-मशहूर शहरहै इसलिये उनका बयानभी यहां बतलाते है, जिसको जानाहो-जावे, न-जानाहो-न-जावे, मेरटारोडसे रेलमे सवार होकर मेरटासीटीजाना, रैलकिराया देढआना,. मेरटाशहर एक पुरानी आवादी है. अतराफ कोट बनाहुवाबाजार पसारहटा-और-सदर जिसमे सराफ औह कपडेवेचनेवाले बेठते है किसीकदर रवन्नकदारहै, मेरटेकी शोहोरत-जो-पेस्तरथी अवनहीरही मगरकिसीकदरठीकहै, हाथीदांतके छल्ले-अंगुठी-फुल और घडीकी जंजीर यहांआलादर्जेकी बनती है, खसकेपंखे-उनीकपडे-और-मीटीके खिलौने यहांकेनामी है, जैन श्वेतांबर श्रावकोके घरपेस्तरबहुतथे-मगरअबसीर्फ ! (८०) के-करीबरहगये, जैनश्वेतांबरमंदिर (१४) और-उनमेखूबसुरत पुरानीमूर्तिये तख्तनशीनहै जैनपुस्तकोंका पुराना भंडारयहांपर मौजूदहै, जैनमुनिजनोको ठहरनेकेलिये कइमकान बनेहुवे है, बहार शहरके छत्री दादाजीकी और-बगीचा उमदाहै-मगर मरम्मत दरकारहै, मेरटेके जैनमंदिरोके दर्शनकरके यात्रीनागोरजावे, रैलकिराया पोनेसात आनेलगते है, और-देशवाल-खजवाणा-मुंडवा-ये-टेशन रास्तेमे आते है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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