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________________ क्यान-शहर-उदयपुर. (१५९ ) हमीर-कुंभाराणा-संग्रामसिंह-और-सूर्यमल वगेराहुवे, जिनकों तवारिख पढनका शौखहै बखूबी जानतेहोगें. कुंभाराणाजी जब सन (१४६८ ) इस्वी चितोडके तख्तपरथे चितोडराज्यकी बडी तरक्कीथी, कीर्तिस्तंभ-पदमनीका महेल-मूरजपोल दरवजा-हिंगलुहाडाका महेल-येचीजे यहांपर काविलदेखनेकेहै,-किले चितोडगढकी परकम्मा करीव (७) मीलकी-और हरजगह पुराने मकानात खडेहै, किलेके जैनमंदिरोंकी जियारतकरके यात्री चितोडमें वापिस आवे और टेसनपर जाकर उदयपुरके लिये रैलमें सवार होवे, me [ बयान-शहेर-उदयपुर ] चितोडसें गोसंडा-कपासन-सनवार-मावली-खेमली-औरदेवारी होतेहुवे टेशन उदयपुरको जावे, रैलकिराया ग्यारह आना छपाइ, चितोडसे ( ६३ ) मीलके फासलेपर मेवाडका शिरोताज उदयपुर एकनामी शहरहै, उदयपुरके महाराज राणासाहब चितोडराज्यके वंशानुयायीहै, उनमेंसे महाराज उदयसिंहजीने मुल्क मेवाडमें आनकर उदयपुर बसाया. अतराफ शहरके पकाकोट खीचाहुवा--कइवाग-और-चारदरवजे यहां मशहूरहै, बडेबाजार होते राजमहलकों जानेका रास्ता बनाहुवाहै, अनायब घर-लाइब्रेरी-और विद्यालय यहां देखनेकी चीजे है, गुलाबबाग-और पिछोलाझील मशहूर जगह-और बाजार लंबाचोडा-जिसचीजकी दरकारहो यहां मिलसकती है, जैनश्वेतांबर श्रावकोके घर करीब (४०० ) और छोटेबडे ( ३५ ) जैनश्वेतांवर मंदिर यहांपर बनेहुवेहै, सबसे बड़ा मंदिर बीचबाजार कोतवालीके पास-तीर्थकर शीतलनाथ महाराजका-जोकि बडाखूबसुरत और मजबूतहै. मंदिर चंदाममुजीका मंदिर रिषभाननजीका-मंदिर रिषभदेवभगवानका Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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