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________________ (१६०) वयान-शहर-उदयपुर. मंदिर गोडीपार्श्वनाथजीका-मंदिरखाडीजीका-हाथीपोल दरबजेके पास रिषभदेव स्वामीका-और-शहरके बहार वडाआलिशान मंदिरचोगानका-जिसमें अनागत तीर्थकर पदमनाभजीकी-(९५) इंच लंबी-और (८१) इंचचोडी बडीआलिशान मूर्ति तख्तनशीनहै, इसमंदिरके सामने थोडीदरके फासलेपर मंदिर पार्श्वनाथजीकाजोकि-शेठजीकी वाडीके नामसे मशहूर है वहांपर यात्रीयोंकेलिये ठहरनेकी जगहभी बनीहुइहै, यात्री उसमेजाकर कयाम करे और उदयपुरके जैनमंदिरके दर्शनकरे, उदयपुरसें (१॥) मीलकेफासलेपर एकपुराना जैनतीर्थ आघाटपुरके नामसे मशहूरहै, राज्य उदयपुरका और छोटासाकस्बा रहगया, जहांकि-महाराजश्री-जगतचंद्रमुरिजीकों तपाविरुद-तपगछकाखिताब मिलाथा,-आघाटपुरमें (४) जैनश्वेतांबरमंदिर इसवख्तमौजूदहै, बडामंदिर तीर्थकररिषभदेवजीका-राजासंमतिकेवख्तका तामीरकियाहुवा पुरानाहै, इसमें तीर्थकर रिषभदेवभगवामकी मूर्ति-करीब (२॥) हाथबडी तख्तनशीनहै, निशानभी इसपर वही है जो राजासंपतिकी तामीरकिइहुइ मूर्तियोंपरहोताहै, दिगर (४) मूर्तियेभी उसीनिशानवाली इसमेंजायेनशीनहै, मंदिरकीबहार दिवारोपर क्याहीउमदाकारीगीरी किइगइहैकि-जिसको देखकर दिल निहायतखुशहोताहै, दुसरामंदिर तीर्थकरशांतिनाथजीका-इसमें जो पुरानीमूर्तिथी अवनहीरही, संवत् ( १८१७) की-प्रतिष्ठित नयी-तख्तनशीकिइगइहै, तीसरामंदिर शंखेश्वरपार्श्वनाथजीका इसमें तीर्थकरशंखेश्वरपार्श्वनाथजीकी पौनहाथबडीमूर्ति:संवत् (१८०५) की-प्रतिष्टिततख्तनशीनहै, अतराफ बावनजिनालय बनेहुवे-मगर-इसवख्त सबखालीपडे है, चोथामंदिर सुपावनाथजीका-शिखरबंद बेशकीमती बनाहुवा-मूलनायक तीर्थकर Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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