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तवारिख-ओशियानगरी. ( १५१ ) वे-ओशवालकहलाये ऐसाजानना, ओशियानगरीसे रवानाहोकर जब (१८) वर्षकेबाद रत्नप्रभमूरि-लखीजंगल नामकेशहरमें गयेथे वहां (१००००) शख्शोकोंउनोने तालीमधर्मकी देकर जैनीकियेथे, जोलोगकहते है, महाराजरत्नप्रभमूरि तीर्थकरमहावीरस्वामीके बाद (२२२) वर्षपीछेहुवे, विना तलाशकिये कहते है, तीर्थकर महाबीरनिर्वाणके बाद-(५२) वर्षपीछे महाराजरत्नप्रभमूरिकोंआचार्यपदवी मीली, और (१८) वर्षकेवाद-वे-ओशियानगरी में आये यहीबात सच मालूमहोती है, ____संवत् ( १२२८ ) में जब कुमारपाल भूपाल प्रतिबोधक-हेमचंद्राचार्य-मुल्क गुजरातमें हुवे उनोनेभी बहुतसोंकों जैनबनायेहै, श्रीयुत-जिनदत्तमरिजीनेभी बहुतसे जैनीकिये, बादउनकेश्रीयुतवर्द्धमानसरिजीने कइयोंको तालीमधर्मकी देकर जैनीकिये, संवत् (१६४० ) में जब एहदसलतनत-बादशाह-अखवरकी जारीथी आचार्य हीरविजयमूरिनेभी बहुतोंकों अपने धर्मोपदेशसें जैनबनाये, इसवख्त हिंदकेतमाम मुल्कोंमें ओशवाल लोग फैले हुवेहै,
ओशवालोमें कइगोतहै, मुल्कगुजरातमें गोतकी चर्चा-कमरही, दखनमेंभी कमहै, मुल्कपंजाबमेंभी कम-सीर्फ ! मारवाड-और पूरवमें-गोतकी चर्चा जारीहै, जैसे कोठारी-भंडारी-पारख - मुतागांधी-कोचर-शीगी-भणसाली-नवलखा-सुराणा-कासटीया-ढढा डाघा-भडकतीया-लुणीया-गोलेछा-सचेती-वांठिया-दुगड-दुघे. डिया-नाहर-मुणोत-वगेरा वगेरा, कइ मशहूरहै, कइ-लुप्तहोगये, ____ ओशियानगरीमे तीर्थंकर महावीरस्वामीका-मंदिर-जो-अब-- मौजूदहै, संवत् ( १०३३ ) में इसकीमरम्मत किइगइ. और मूर्ति तीर्थंकर महावीरस्वामीकी दुसरी पधराइ गइ, जोकि-राजासंपतिकी बनाइहुइहै-और-अवभी मौजूदहै, रंगमंडपमें दोनोंतर्फ ती
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