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तवारिख-ओशियानगरी. (१४९ ) गरी जोधपुरसे खुश्कीरास्ते (१६) कोशकफासलेपर वाकेहै, सबारीकेलिये बेलगाडीही कामदेगी और किराया जानेआनेका करीब (६) रूपयेलगेगे, रास्तेमें बालुरेत ज्यादहहोनेकी वजहसें इक्का-वगी काम-न-देयगे, शिवाय आक-बवुल-खेजडे-केर-औरनींबके दुसरेपेंड रास्तेमे न देखोगे. रास्तेमें आठकोश जानेपर एकमथाणीयागांव मिलेगा. रातको-वहां कयामकरना और दुसरेरौज ओशियानगरीकों जाना,
US [ तवारिख-ओशियानगरी, ] जब खास ओशियानगरी पहोचोगे करीब ( ५०० ) घरोकी आबादीका एकछोटासाकस्वा नजरआयगा, जो-रवन्नक इस नगरीकी पेस्तरथी अबकहां है, ? पुरानेमकानोके खंडहेर देखकर मालूमहोताहै पेस्तरयहांपर बडेबडेदौलतमंदवाशिंदेथे,-मथाणियागांवजोपेस्तर (८) कोशके फासलेपर लिखचुकेहै वहां ओशियानगरीकी धानमंडीथी, और जो तीवरीगांव मथाणियाकी बाजुपरहै वहां ओशियानगरीका तेलीवाडाथा, तीवरीके आगे-चारकोशपर जो घंटीयालागांवहै एक शिलालेख वहांपर जमीनमें आधागडा हुवा मौजूदहै उसपर लिखाहै यहां ओशियानगरीका सदर दरबजाथा, ओशियानगरीका असलनाम संस्कृत जबानमें उपकेश नगरीथा, प्राकृतजवानमें उवयेश-और-लोकभाषामें ओशिया नगरी मशहुरहोगया, तीर्थकर महावीरस्वामीके निर्वाणहोनेके बाद (७०) वर्ष पीछे जैनाचार्य-रत्नप्रभमूरि यहांपधारेथे, जो चौदहपूरवकेपाठी-श्रुतकेवली तरहतरहकी विद्यालब्धिके भंडार-और-तीर्थकर पार्श्वनाथजीके शासनमेसे एक थे, और तीर्थकर महावीरस्वामीके शासनमें दाखिल होचुकेथे, क्योकि-जबसें-महाराज केशीकुमारजीकी-और-गौतम स्वामीकी चार-और-पांचमहाव्रतके उपर बहे
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