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________________ (१४८ ) दरवयान-पाली-और-जोधपुर. मुल्कमारवाडकी राजधानीथा-आजकल छोटासाकस्वा रहगया, पेस्तर इसमेवडी आबादीथी, किलामंडोर-या-गढमंडोर इसीकों कहते है, करीबपांचसो वर्षपेस्तर इसकावडानामथा, दखजा बडा संगीन-बागबगीचे-द्रख्तोंकी चकाचक-आम-अमरुद-अनारनारंगी-केले--शरीफे-द्राक्ष-वगेराकेपेंड यहां कसरतसेखडे है, जैन श्वेतांबर श्रावकोकेघर पेस्तरयहां बहुतथे मगर आजबरायेनामकुल्ल एकघर रहगया मंदिरजैनश्वेतांबर (२) एकबडा--एक छोटा-बडेमंदिरमें तीर्थकर-पार्श्वनाथजीकी वादामीरंगमूर्ति करीब देढहाथबडी तख्तनशीनहै, और इसपरलिखाहै संवत् (१२२३) में-यह प्रतिष्टितकिइगइ, दाहनीतर्फ तीर्थकरधर्मनाथजीकी-औरबायीतर्फ चंदाप्रभुजीकी सफेदमूर्ति-एकएकहाथवडी जायेनशीनहै, और दोनोंपर लिखाहै संवत् (१२२३) में यहप्रतिष्टित किइगइ, दुसरामंदिर छोटा-और-वादामीरंग मूर्ति सवाहाथवडी इसमें तख्तनशीन है, ___ जोधपुरमें इक्का बगीवगेरा सवारी तयार मीलतीहै मंडोर जानेकेलिये-सडक पकी बनी हुइ यात्री शौखसे जावे और मंदिरके दर्शनकरे, जोधपुरसे (६ ) मीलपर और मंडावरके रास्तेसें बाइतर्फ-बालसमन तालाव-निहायत पाकजलसें भराहुवा काबिल देखनेकी जगहहै, पचासफुट उंडाजल-ठंडीठंडीहवा-दोनोतर्फ पके महलात-और-घाटपथरोका बडीपुख्तगीके शाथ बनाहुबा देखकर दिल-तर-व--ताजाहोगा, पासमे एक बगीचा-अनार-नरंगीवगेराकेरंगबरंगद्रख्त और सब्जी-आंखोकों तरी देरहीहै, जोधपुर शहरमें गुलाबसागर-आनासागर तालाव बेशक ! काबिल देखनेकेहै मगर इसकीरवनकों कोइनहीपाता, जोधपुरके जैनमंदिरोंके दर्शनकरके यात्री ओशियानगरी जानेकी तयारीकरे, ओशियान Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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