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दरवयान-पाली-और-जोधपुर. (१४७ ) किराया आठआनेलगेगे,-टेशनकेसामने धर्मशाला बडीपुख्ताबनी
हुइहै, एककोठरीमें डेहराकरके देवदर्शनको जावे,___मारवाडकी-दशीरियासतोंमें मशहूर-राजधानी-जोधपुर एक गुलजार शहरहै, सन (१४५९) इस्वी में महाराजजोधरावजीने इसकों बसाया, जोधपुरकी मर्दुमशुमारी (६१८४९) मनुष्योंकीजोधपुरराज्यकी जमीन रवन्नकलिये और जगहजगह पहाडीयोंका शिलशिला जारी है, खासजोधपुरभी पहाडीयोंकी दखनतर्फ करीब (६) मीलके घेरेमें आवादहै, बाजरी-जवार-और-मोंठ इस राज्यमें ज्यादहपैदा होतेहै, जोधपुरके राजासाहब सूर्यवंशीराठोड राजपुतोमेसेंहै, अतराफजोधपुरके पकाकोटखीचाहुवा-सातफाटक और-बडेबडेआलिशानमकान उमदापथरोंके बनेहुवे है, जैनश्वेतांबर श्रावकोंकेघर यहांकरीव (६००) और (८) जैनश्वेतांबरमंदिरजिनमे (३) धानमंडीमें-(१) कोलडीमें (१) गुंदीकेमहोलेमें (२) शीगीयोके चौकमें और (२) दफतरीयोंकेवासमें-नागोरी दरवजेके बहार मुताकुंदनमलजीका तामीरकिया हुवा शिखरबंद मंदिर-मूर्ति-इसमें तीर्थकरपार्श्वनाथजीकी करीबपौनहाथ बडी तख्तनशीनहै, एकधर्मशाला-और-पासमें बगीचा-देखकर दिल खुशहोगा, ___ जोधपुरसें देढकोशके फासले गुरांकेतालावपर (२) मंदिर
और एकधर्मशाला-बनीहुइहै, बडेमंदिरमें तीर्थंकरपार्श्वनाथजीकी सफेदरंगमूर्ति-मयधरणेंद्र पदमावतीके करीब (१) फुटबडी तख्तनशीनहै, ऐसीमूर्ति दुसरीजगह बहुतकमदेखीजाती है, मंदिरके पीछाडी एकतालाव-और-नजदीकमें एकबगीचा-जिसमें-अनारनींबु-गुलाब-चमेली-वगेराके द्रुतखडे है, देखकरदिल तरहोगा, जोधपुरसे (३) कोश उत्तरतर्फ मंडावरगांव-जो-जोधपुरकेपेस्तर
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