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________________ तवारिख-पंचतीथी. है, कारीगरी इस मंदिरमें कमहै, कोट बेशक ! पुख्ता खीचाहुवा -संगीनहै, नेमनाथजीके मंदिरसे आगेजो सूर्यमंदिरहै-वो-राणाजीका तामीरकरवाया हुवाहै-जैनमंदिर यहां कुल्ल तीनहै, एकबडा और दो-छोटे, धर्मशाला यहांपर (२) एकबडी दुसरीछोटी, दोंनोंमें करीब (२०००) यात्री-आरामकरसकते है, वावडी मीठेजलकी और एकबाग यहांपरमौजूदहै, जिसमें मोगरा-जाइ-वगेराकेफुल हमेशां उतरते है और पूजनमें चढायेजाते है, (तवारिख पंचतीर्थी-खतमहुइ,-) रानकपुरसें वापिस रानीटेशनआना, और रानीटेशनसे रैलमे सवारहोकर-जावाली--सोमेसर-भीनवालिया होतेहुवे मारवाड जंकशनजाना, और वहां उतरकर पाली-जोधपुरजानेवाली रैलमें सवारहोकर-बोमदराहोते पालीटेशनजाना, रैलकिराया रानीसे यहांतक दसआने लगतेहै, अगर यात्रीको फुरसतहो-एकरौज यहां कयाम करके यहांके जैन मंदिरोंकेभी दर्शनकरे पाली अछा कस्वाहै मर्दुमशुमारी इसकी (१७१५०) मनुष्योंकी और बहुत जैनश्चेतांबर श्रावकोके घर यहां है, बडेबडे जैनश्वेतांबर मंदिर-जिनमेंनवलखा पार्श्वनाथजीका मंदिर नामीग्रामीहै, जैनश्वेतांबर मुनियोंको ठहरनेके कइ मकान यहां बनेहुवेहै, यात्रीयोके लिये धर्मशाला मौजुदहै, इसमें डहेरा करके जिन मंदिरोके दर्शन करे, दुसरेरौज वापीस पालीटेशनकों आवे औररैलमें सवारहोकर केरला-रोहात *लुनी-सालावासहोते जोधपुर जावे, पालीसें जोधपुरतक रैल . * लुनीसें सिंघहैदराबादलाइनमें बालोतरा टेशनजाना, वहांनाकोडा-पार्श्वनाथका तीर्थ है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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