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तवारिख-पंचतीर्थी. (१३५ ) और रैलमें सवारहोकर केशवगंज-नाणा-मोरीबेरा-एरनपुरारोड संदेराव-और-फालना होते रानी-टेशन उतरना, रैलकिराय छआने लगते है,
[ तवारिख-पंचतीर्थी,-] . . मुल्क मारवाडमें-रानीटेशनसे ( २० ) कोशके घेरेमें पंचतीर्थी एकमशहूर जगहहै,-वरकाणा-नाडोल-नाडलाइ-घाणेरायऔर-रानकपुर-ये-पंचतीर्थीके नामहै, सवारीके लिये बेलगाडी रूपयेरोजके किरायेपर मिलसकेगी, रास्ते दो-है, एक वरकाना होकर रानकपुर जाना, दुसरा रानकपुर होकर वरकाना आना, जिनकों जैसा सुभीताहो-वैसा करे, दोनों तर्फसे वापीस रानीटेशनकोही आनाहोगा. और कमसेकम आठरौज लगेगे, जोलोग भ. गाभगी करके चार-या-पांचरौजमेंही खतमकरतेहै उनकीजियारत. फिजुलहै, घरछोडकर तीर्थ आये और तीर्थमेंभी वही हालरहा लो. इससे बेहत्तरहै घर हीबैठेरहना, यात्रीको रानीटेशनसें चलकर एकः
रौजवरकानामें रहनाचाहिये, जोकरीब देढकोशके फासलेपर वाके है, वरकाना-कस्वा पेस्तर बडाथा अब करीब (७५) घरकी आबा- . दीका रहगया, जैनश्वेतांवरश्रावकोंके घरअंदाज दसपनराहकेहै, धर्मः शाला. यहां (२) है, एक छोटी एकवडी, दोनोंमें मिलाकर करीब (१००) आदमी-ब-खूबीठहरसकतेहै, अतराफ-मंदिरके-एक पुख्ताहाता खीचाहुवा, कारखानेमें मुनीम-गुमास्ते-नोकर-चाकर पूजारी वगेरा हमेशांकेलिये तैनातहै, और जेरनिगरानी उनपर: बीजवाके श्रावकलोगोंकी है, जोयहांसे मीलभरकेफासलेपर वाके है, यात्रीकों अगरभांडे-वर्तनकी. दरकारहोतो कारखानेसें मीलसकेंगे, मंदिर वरकानेका-बहुतबडा आलिशान-बावनजिनालयका-निहायतपुख्ताहै, घेराव इसका चारसोगजसे कम-न-होगा, दरवजेके
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