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________________ तपारिख-तीर्थ-भणवाड. (१३३ ) [ तवारिख तीर्थ बंभणवाड ] आयुरोडसे रवानाहोकर यात्री किरवरली-भिमाना-रोहिदाऔर-बनासटेसन होतेहुवे टेशन पीडवाडा उतरे, रेलकिरायापांचआने लगते है, पिंडवाडेमें श्रावकोके मकानात-धर्मशाला-और -पुराने मंदिर वनेहुवेहै, दर्शनकरके आगे बंभणवाढतीर्थकों जाना जो करीब (४) कोशके फासलेपर वाकेहै, सवारीके लिये बेलगाडी मिलसकेगी, रास्ता खुश्कीकाहै, चौकीदारकों शाय लेनाचाहिये. और खानपानका बंदोबस्तभी यहांसेही करलेना ठीकहै. बंभणवाडगांव छोटाहै चाहिये वैसीचीज वहांपर नही मिलसकेगी, तीर्थबभणवाड पहुचनेपर धर्मशाला में कयामकरना जो-निहायतपुख्ता और आलिशान बनीहुइहै, वंभणवाड कस्वा बहुतब. डानही मगर तीर्थकी वजहसे मशहूरहै. यहाँपर तीर्थंकर महावीर स्वामीका बडाआलिशान मंदिर-गांवसे-कुछ फासलेपर जंगलमें बतौर देवविमानके खडाहै, कारखाना-मुनीम-गुमास्ते-नोकरचाकर और पूजारीवगेरा हमेशांकेलिये यहां तैनातहै, मंदिरके सामने पथरका-एकहाथी-मानींद असलीहाथीके-बनाहुवाखडाहै, मंदिरमें मूलनायक भगवान-तीर्थकर महावीर स्वामीकी मूर्ति-बालुरेतकीबनीहुइ जिसपर मोतीयोंका लेप लगाहै करीब (१) हाथवडी तख्तनशीनहै, दर्शनकरके दिलखुशहोगा, ___जोलोगकहते हैकि-तीर्थकरमहावीरस्वामीके कानोंमें जो-गोवालियेने लकडेकी बडीबडीकीले बतौरमेखके लगाइथी-वहखरकनामकेवैद्यनेयहां निकालीथी, मगरयहबात बिल्कुलगलतहै, असलमें-यहमाजरा मुल्कपूरवकाहै, देखो! कल्पसूत्रमें जहांतीर्थकर महावीरस्वामीका अंतर्वाचनाका जिक्रदर्ज है, ऐसापाठ मौजूदहै, कि-तीर्थकरमहावीर खणमानीगांवकेबहार खडेहोकरध्यानकरतेथे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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