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( १३२) तवारिख-तीर्थ-आधु, खडीहै, गुलवेलिया-और-केशुवगेरा जंगली फुलोंकी गिनतीकरो, तो एककिताब भरजाय, विद्याब्राहमी-सहदेवी-काकजंघा-शरपुंखा-लक्ष्मणा-मयूरशिखा-हंसराज-नकछीकनी-रतनजोत--जलजमनी-और-प्रियंगु-यहांहजारोमण पैदाहोतीहै, सफेदमुशलीबहडे-आवले-अरीठे-मोथ-घोडवेल-और-मरोडफलीभी--किसीकदरकमनही, कांटालकासहेत यहांबहुत पैदाहोताहै. भौरे-कांटालजातिकी नाशपातीकारस पीइकर सहेतकों पैदाकरतेहै,... अय्यामवारीशमें आबुपहाड बदलोंसें इसकदर छाजाताहै बुलं दशिखर बिल्कुलनजर नहीआते, आबुपर छावनीमें जिसचीजकी दरकारहो आसानीसे मिलसकतीहै, आबुकेजैनमंदिर जिनोनेनही देखे एकआलादर्जेकी कारीगरीका हिस्सानहीदेखा ऐसाकहनाकोइ गलतबातनही, मंदिरोंमें जातेवख्त-लकडी-हथियार-छडी-जुतेवगेराबहार रखकर जानाचाहिये, देवमंदिर एकअदबकी जगहहै, अंदरजाकर कारीगिरीकों बिल्कुल-न-छीवे, दरसे सबचीजदेखे, दरवजेपर इसीमजमुनका एकइस्तिहारभी लगाहुवाहै, आबुतीर्थकी जियारतसें यात्रीकों दो-किसमके फायदेहोगें, अवलधर्मका दोयम कारिगीरीके देखनेका-देलवाडेसे यात्री उसीरास्ते वापीसखरेडी आवे जिसरास्तेगयेथे, आबुपरचढनेके रास्तेकइबनेहै, मगरखास रास्तेदो-है, अवल खरेडीका-दोयम-अनादरेका, पहाडपर चढतेवख्त रास्ताचढावका-और-उतरतेवख्त उतारकाहै, ब-सबब-सडकके रास्तासाफ- हरजगहहरियाली कुछ कुछ फासलेपर चौकीपहरेलगेहुवे और सबइंतजाम अछाहै,... (तवारिख आबु खतमहुई,)
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