SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 246
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२८) तवारिख-तीर्थ-आबु. मूर्त्तिकेनिचे लिखाहैसंवत् [१३०२] जेठसुदी (९) मीशुक्रवारकरोज यहमूर्ति प्रतिष्टितकिइगइ, पल्लीवालज्ञातीयश्रावक [नामखंडित होगयाहै] की भार्याने यहमूर्ति बनवाइ, और आगेचौथीलकीरमें तीर्थकरशांतिनाथजीका नामलिंखाहुवाहै, आसपास-चुना-लगादियाहै जिससे लेख पुरेपुरा बचनहीसकता, रंगमंडप वडाआलिशान-वहारकीतर्फ उमदाकारिगीरी-और-अतराफमंदिरके संगीनकोट खीचाहुवाहै. राजाकुमारपालके मंदिरकादर्शन करके जबबहारआओगे सामने एकतालाव नजरआयगा. और उसकी एकतर्फ तीन से पथरके बनेहुवे खडेदेखोगे, आगेपहाडकी-तर्फबढोतो-एकदरवजा -और-एक तालाव आयगा, इसकेभी आगे बढोतो दुसरादरवाजाऔर अचलगढगांवकी आवादीशुरूहोगी, आबादीक्याहै, ? बरायेनाम वीशपचीशघर रहगये यहांपरएक मंदिर तीर्थकरकुंथुनाथ जीका-और-एकधर्मशाला पुरानी बनीहुइहै, यात्री इसमें जाकर कयामकरे, मंदिरमें सबधातकी बनीहुइ मूर्ति-तीर्थकरकुं थुनाजीकी तख्तनशीनहै औरउसके नीचे लिखाहै संवत् [१५२७] में. यहतामीर किइगइ,___ यहांसेआगे बडेमंदिरकों जाना जो बुलंदशिखरपर मानींद स्वर्गविमानके नजरआताहै, पास नयीधर्मशाला-कारखाना-मुनीम-गुमास्ते-नोकरचाकर-चौकी पहरा सबठाठ शाहाना देखोगे, यहकारखाना जेरसाया-गोहिडा गांवके श्रावकोंकेहै, औरअलवते ! इसवख्त इसमंदिरकी तरक्कीहै, पहाडकेबुलंद शिखरपर जैसाखूबमुरतमंदिर अचलगढकाहै दुसरीजगह नहीदेखोगे, इसके रंगमंडपमें Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy