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________________ तवारिख-तीर्थ-आबु. (१२७ ) अब-अचलगढके मंदिरोंका-हालसुनिये, देलघाडेसें अचलगढ (५) मीलके फासलेपर वाकेहै, सडक पकीवनीहुइ-मगर चोडाइमें बहुततंग सीर्फ घोडे-और-डोलीये जासकतीहै, बगीया-गाडीनही जासकती, रास्तेमें एकमौजा ओरीयानामका वाकेहै जिसमें श्रावकोंका एकभीघर नहीरहा-सवघर दिगरमजहब वालोंके करीव (१००) है, जैनश्वेतांवर मंदिर एक-यहांनिहायत पुरानावनाहुवा-और-इसमें मूलनायक भगवान् महावीरस्वामीकी मूर्ति . करीब (१) दो-हाथवडी तख्तनशीनहै, यहमूर्ति राजासंप्रतिकी तामीरकिइहुइ-वहीं-निशानातइसपर बनेहुवेहै, बायीतर्फ एकमूर्ति-तीर्थकर पार्श्वनाथजीकी-इसपरलेखनही-सीर्फ ! पार्श्वनाथभगवानका नामहै, दाहनीतर्फ एकमूर्ति तीर्थकरशांतिनाथजीकी जो करीबपोनेदोहाथवडी जायेनशीनहै और यहभीराजासंपति की तामीरकीइहुइहै, आबुपहाडपर बहुतसीमूर्तियें राजसंपतिकीहीतामीरकिइहुइ पाइजातीहै, निगरानी-इसमंदिरकीअचलगढके खजानेसे किइजातीहै, इसकेदर्शनकरके-वापीस उसीसडककोआनाजो-अचलगढकों गइहै, अचलगढगांव पहाडकी दामनमेबसाहुवा जबतलहटीमें पहुचोगे राजाकुमारपालका तामिरकियाहुवा मंदिरदाहनी तर्फकों नजरआयगा, जो-बडासंगीन-और-पुख्तशिखरवंद वेंशकिंमती बनाहुवाहै, और इसमें तीर्थकर शांतिनाथ महाराजकी मूर्ति तख्तनशीनहै, यहमूर्तिभी राजासंपतिकी तामीरकिइहुइ-औरवही-निशानात इसपरमौजूदहै, रंगमंडपमें शिलालेख लगाहुवाहै मगरव-वजहटुटजानेके वचनहीसकता, दो मूर्ति-जो-खडेआकार इसमेंजायेनशीनहै बायीतर्फकी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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