SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 244
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( १२६ ) तवारीख-तीर्थ-आबु. डशाहने-और-लल्लनामके साहुकारने-यहांकइदफे जलसेकिये और दौलतसर्फकिइ. हिंदमें आवुकेजैन मंदिरअपनी कारीगीरीसें आमजगह मशहूरहै, मंदिर-सोना-चांदी-जवारातके वनेनही है पथरके है मगर कारिगरीके सामने-सोना-चांदी--जवाहिरातभी-नाचीजहै. फीजमानाके कारी गिर यहांकीकारीगरी देखकर ताज्जुवकरतेहै और इसहुनरकों सीखनेकी कोशिशकरतेहै, कइअंग्रेज-इनमंदिरोका फोटो उतारतेहै,-कीर्तिकौमुदी-औररासमाला कितावजोकि-आलादर्जेकी तवारिखें शुमारकिइजाती है उनमेंआबुकेजैनमंदिरोका हालदर्ज है, जोशख्शयहांआनकर नजरसेंदेखेगा अजहदखुशहोगा.___वस्तुपाल-तेजपालके मंदिरसेथोडीदूरशेठ-भैसाशाहका तामीरकियाहुवा निहायतउमदामंदिर बडेधैरेमें है. मूर्तिइसमेंमूलनायक भगवानकी करीबतीनहाथवडी सवधातकी तख्तनशीनहै, इसके नीचेलिखाहै [संवत् १५५२] मेंतामीरकिइगइ, तपगछ. नायकश्रीसोमसुंदरसूरि-तत्पदे-मुनिसुंदरसूरि-तत्पदे-जयचंद्रसूरि-तत्पदे-रत्नशेखरमूरि-औरउनकेपट्टपर लक्ष्मीसागरमूरि-जिनोने--इसमूर्तिकी प्रतिष्टाकिइ, गभारेके बहाररंगमंडपमें दोमूर्ति-एक-तीर्थकररिषभदेवभगवानकी दुसरी-मुनिसुव्रतस्वामीकी-जायेनशीनहै, तारीफकरनाचाहिये भेंसाशाहशेठकी जिनोनेइसकदरअपनीदौलत इस तीर्थपरखर्चकिइ, चोथामंदिरचौमुखाजीका तीमंजीला और-तीनोंमंजीलोंपर मूर्त्तिचौमुखाजीकी तख्तनशीनहै. बडाबुलंदशिखर औरसबकाम पुख्ताबनाहै, रंगमंडपबहुतबडा जिसमेंकरीब [५००] आदमीबखूबी बेठसकते है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy