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________________ ( १२४ ) तवारिख-तीर्थ-आबु. लकेखानदानवालोने बनवाये है, मंदिरकीपीछाडी शंगमर्मर पथरके (१०) हाथी-जोकरीव तीनतीनहाथ लंबेचोडेजिसकी कारीगीरी-हदसेज्यादहहै-जोदेखेगेवेही जानसकेगें, इनहाथीयोंकेउपरछतऔर पीछाडीदिवारबनीहुइहै, उसमेंअलगअलगआले-और और-उनालोमें वस्तुपाल-तेजपाल-उनकीऔरतें--चचावगेरा रिस्तेदारोंकी मूर्तेशंगमर्मरपथरकी बनीहुइहै, कैसीकैसीउनकी खूबसुरति-कमालहुस्न-और-इकबालमंदी-चेहरेपरझलकरहीहै, खुश'नसीब-बहादूर-और-धर्मपावंदहोतो ऐसेहो, ___मंदिरकेरंगमंडपमेंदोंनोतर्फजोदो-आले-एकबायी-और एकदाहनीतर्फक्नेहुवे है. इसकदर उमदाकारीगरीकिइहैकि-शंगमर्मरपथरकों बतौरकागजकरके दिखलादिया, ये-दोनों-आलेवस्तुपालतेजपालकीऔरतोंने-अपनेजेबखर्चसेंतामीर करवायेहै, दरअसलमेंये-आलेनहीं है मगरकारीगरीमें बडेबडेमंदिरोंकों मातकरनेवाले है, शावाशहै जननेंकऔरतोंके खयालोकों जिनोनेधर्मपर ऐसीनेंकनामीकिइ. आबुकेजैनमंदिरोंकी जोतारिफसुनतेहो इनहीविमलशाहशेउ-और-दिवानवस्तुपाल-तेजपालकेबनायेहुवे मंदिरोंकी है,-वस्तुपाल--तेजपालकमंदिरकी तामीरातमें एककरोड--असीलाखरुपये सर्फहुवे, अलावाइसके जिसजगहपर मंदिरखनाहै उसकीभरतीकरनेमें छपनलाखरुपयेहुवे. जंगलीभील-लोगोनेइसमंदिरकों कुछनुकशानपहुचायाथा--तबसेइसकी रवन्नक-कमहोगइ मगरफिरभी बहुतकुछरवन्नकहै, जवयहमंदिरबनकर तयारहुवाहोगा उसवख्तदेखतेतो मालूम होताकि-क्यारवनकथी,... . . मंदिरकी दाहनीतर्फपरकम्मामें-अंबिकादेवीकी उरलीतर्फ-बि चलेदेवालयमें पूरवतर्फकीदिवारकेपास शंगमर्मरपथरपर उकेराहु Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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