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तवारिख-तीर्थ-आबु, ( १२.३ ) कारीगरी किइगइहैकि-जिनकीतारीफ-जवानसें बहारहै, जोजोवेलबुटे-कमलकुल-पुतलीया-गुलदस्ते-बनायेहै देखकर अड़ेअछे कारीगर ताज्जुबकरतेहै, मुलनायक तीर्थकर नेमनाथभगवानकी मूर्ति करीब तीनहाथबडी शामरंग इसमें तख्तनशीनहै, यहमूर्तिराजासंप तिकी बनाइहुइ-वैसेही निशानात इसपरवनेहै-जैसे उनकी तामीर कराइहुइमूर्तियोंपरहोते है, इसमंदिरकीप्रतिष्टा संवत् (१२८८ ) में हुइ, परकम्माकेजिनालयोपरलिखाहै आसराजसुत-वस्तुपाल-तेजपालने-यहमंदिरतामीरकरवाया, इसकेभीतरीरंगमंडपमें गभारेकेबहार बायीतर्फजोखडेआकार दोहाथबडीमूर्ति जायेनशीनहै उसकेनीचे लिखाहै संवत् (१२८९) फाल्गुनसुदी (८) कोरंटकीय गछ पुन्यसिंहभायो-- पुन्यश्रीसुत--भ्रातृमूलगेहासहितेनमुंडस्थलसत्कश्रीमहावीरचैत्ये--निजज्येष्टबांधवमहदुदाश्रेयोर्थ जिनयुगलंकारितं प्रतिष्टितं,___ बाहारकेरंगमंडपकीबायीतर्फ-परकम्मामें--जो-दो-बडे बडे शिलालेखसंस्कृतपद्यवद्ध-है-उसमेंएककालेरंगका-दुसरासफेदरंगका--सफेदरंगके शिलालेखपरलिखाहै संवत् (१२८७) फाल्गुनवदी (३) इतवारकेरौजयह लिखागया, दोनोंशिलालेख संस्कृतजबानमें-हर्फनिहायतउमदा-मगरकइजगह टुटगयेहै, इसमंदिरमे बावनजिनालयका
आकारउमदाबनाहै कइजिनालयोपर संवत् (१२९३) केलेखहै, एकपर (१२९०)-और-एकपरसंवत् [१२९१] कालेखहै,और-ये-सब-छोटेछोटेजिनालय वस्तुपाल-तेजपा
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