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________________ ( १२२ ) तवारिख-तीर्थ-आबु. सरि--आर-इसकेआगे शांतिसूरिका नामहै. मंदिरकेठीक सामनेदरवजेके-एक पथरका एकघोडा-और-उसपर विमलशाहशेठ क्या ! उमदा चेहरानजर आताहै जैसेकोई बडासखी और इकबालमंदशख्शहो, कमालहुस्न-और-मुबारीकबादी उनकेचहरे परझलकरहीहै, मुसल्मानी अमलदारीकेवख्त यहमुर्ति कुछतोडी गइथी. हालमे कलीचुनेसें मरम्मत किडगइहै. विमलशाहशेठके घोडेके अगलवगल औरपीछे (१०) हाथी शंगमरमरपथरके क्याही खूबसुरतबने हैकि-मानो ! किसीकारिगीरने अभीइसको बनायाहो. जोकरीवतीनतीन हाथवडे औरचोडेहोगें-उनकीहिफाजतके लिये उपरछत बनीहुइहै, संवत् ( १८१८) मे महाराजश्री पदमविजयजीने जोतीर्थ आबुकास्तवन बनायाहै विमलशाहशेठके बनायेहुवे मंदिरमें ( ८७६ ) मूर्तिी -लिखाहै, सेकडोंकोशोंसे शंगममपथर मंगवाकर पहाडपर मंदिरबनवाना कितनामुश्किल है, हाथीयोंपर माल असबाब लदवाकर चढायजाताथा जिसमें बेशुमार खर्च होताथा,.. अब वस्तुपाल तेजपाल के मंदिरका बयानसुनिये, खुशनशीबोंने दुनियाकी पुस्तपर क्याक्या करदिखाया है जिसकानाम आजतक दुनिया रोशनहै, असल में-वस्तुपाल-तेजपाल-आसराजजीकेवटे और राजावीरधवल के दिवानये, उनोनेभी मानींद विमलशाहशेठके दौलतलगानेमें कोई कसरनहीकिइ. अपनाखजाना लाकरगोया ! आबुपहाडपर रख दिया. विमलशाहशेठके मंदिरकोंदेखकर उनोनेभी वैसाहीमंदिर यहांबनाया. शोभनदेवकारीगर उसवख्त तमाम शंगतरासोका अप्सरथा. जैसा-उसका नामथा वैसाही शंगमरमरपवरपर करकेदिखलादिया. बडाआलिशान मंदिरदेखकर दिलनिहायतखुशहोगा. छतोमें-रंगमंडपमें-और--मेहरावोमें ऐसीऐसी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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