________________
तवारिख-तीर्थ-आरासण. ( ११५ ) इसमंदिरमें मूलनायक-तीर्थकरशांतिनाथ भगवानकी सफेद रंगमूर्तिकरीव (११) हाथवडी तख्तनशीनहै. यहमूर्ति-राजासंपति कीतामीरकिइहुइ-वही-निशानात-मूर्तिकेनीचे बनेहुवे-जो-राजा संप्रतिकी तामीरकिइहुइ मूर्तिओंपर होतहै, राजासंमतिकों इंतकाल हवे करीब ( २१२४ ) वर्ष गुजरे, मगर उसका नेकनाम अबतक जारीहै, दुनियामें रूपयापैसा किसीके शाथनहीजाता. सीर्फ ! धर्मही शाथजाताहै, एसेएसेशख्स दुनिया में होगयेजिनोने बडेबडे धर्मकेकामकिये, बदौलत ऊनकीनेंकनामीके आजतकऊनका नाम चलाआया, तुमभीकुछ धर्मकीराहपर नेकीकरोजो तुमकों आइंदे फायदेमंदहै,
चोथामंदिर तीर्थंकरगोडीपार्श्वनाथजीका-इसकीकतावजाभी उसी नेमिनाथजीकमंदिरकी बतौरहै, शंगमर्मरपथरपर क्याउमदा कारीगीरीका नमुना जिसको देखकर इनसान चकितरहजाताहै, इसमें तीर्थकर-पार्थनाथजीकी सफेदरंग मूर्तिकरीव ( २॥ ) हाथ बडीतख्तनशीनहै. और उसकेनीचेलिखाहै संवत् [१३६५] वर्षेमाघधवलेतर शनौ उपकेशवंशीय-वृद्धसज्जनीय-सा०जगडुभार्या-जमनादेसुतरहियाभार्या-चापलदेसुतनानजीवन-भार्यानवरंगदेयुतेन-आत्मश्रेयोर्थ-श्रीपार्श्वनाथविं बं कारितं-प्रतिष्टितं श्रीतपागछेश्वरभट्टारक श्रीहीरविजय सूरीश्वरपट्टोदय दिनमणि-भट्टारकश्री विजयसेनसूरिपट्टालंकाहार-भट्टारक-श्रीविजयदेवसूरिभिः५० कुशलसागर गाणप्रमुखपरिवारयुतैः बु० राजपालोदामेन
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com