________________
( ११६ ) तवारिख-तीर्थ-आरासण.
मंदिरकेगभारके बहारछोटे रंगमंडपमेंदो-खडेआकार-सफेदरंगमूत्तिकरीब तीनतीनहाथ बडी-जायेनशीनहै. छोटेरंगमंडपके दरवजेकी दाहनीतर्फके आलेकी वेदीपर लिखाहै संवत् (१२१६) वैशाखसुदि (२)-श्रे० पासदेवपुत्रवीरापुनाभ्यां--भ्रातृजेहड श्रेयोर्थ-श्रीपार्श्वनाथ प्रतिमेयं कारिता-श्रीनेमिचंद्राचार्य शिष्यैः देवाचायैः प्रतिष्टिता, बडेरंगमंडपमें तरहतरहकी कारीगरी और महरावें तामीर किइगइहै, मंदिरकी परकम्मामें दाहनीतर्फ अखीरके देवालयकी वेदीपर एक शिलालेख-संवत् (१९६१) का है, इसके बनानेवाले आर प्रतिटाकरानेवाले का नाम हौके मिटजानेकी वजहसें पढा नहीजाता, सीर्फ ! निशान मालूमहोतेहैकि इसमें उनकी तारीफ किइगइथी, और अखीरमें धाराप्रदीयगच्छयगेराभी कुछनजर आतेहै,
पाचमांमंदिर तीर्थकरसंभवनाथजीका इसमेंतीर्थकरसंभवनाथजीकी सफेद मूर्तिकरीव (२) हाथवडीतख्तनशीनहै, गभारेकबहार आठआलेबनेहुवेसीर्फ ! एकहीआलेमें एकमूर्तिबाकीरही दुसरेसब खालीपडेहै. दरवजेतीन और अतराफमंदिरके कोटखीचाहुवाहै,तीर्थआरासणकेकारखानेमें एकमुनीम-तीनपूजारी-एकपानीभरनेवाला कुल्लपांचआदमी हमेशांकेलियेतैनातहै. औरखिदमतगुजारी-करतेहै, मुनीमकीतनखाह रुपयेआठ-और-पूजारीयोंकीरुपये साढेचार माहवारी है. और इतनीकलील (थोडी) तनखाहमें इनकागुजारा नहीहोसकता और-न-किप्सीतरहकी इनकोंदिगरआमदनी है, इसलिये इनकीतनखाह बढानाचाहिये, तीर्थजंगलमें है-औरइतनीछोटी
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com