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तवारिख-तीर्थ-आरासण. (१०९ ) mmmmanianimarwmmmmmm... mir ...........mam बडीहोगी. इसपरकुछलेखनही, सीर्फ ! निशान संपतिराजाके वरुतका बनाहुवाहै, संपतिराजाकी वनाइहुइमूर्तिपर ऐसाहीनिशानहोता है, इसमंडपमें शिंगारचोकीकीदाहनीतर्फ तसिरखंभेमें लिखाहुवाहै, संवत् ( १३१० ) वर्ष-वैशाखवदि (५) गुरौ प्राग्वटा ज्ञातीय-श्रे-विल्हणमातृ-रुपिणीश्रेयोथै—आसपालेनसिद्धपाल-पद्मसिंहसहितेन-निजविभवानुसारेण-आ
रासणनगरे-श्रीअरिष्टनेमिमंडपे-श्रीचंद्रगछीय श्रीपरमाणंदमूििशष्य श्रीरत्नप्रभसूरीणामुपदेशेन स्तंभः कारितः इसलेखसें सबुतहुवाकि-यह-खंभा-संवत् (१३१०) में नयावनायागया,
इसखंभेकेपीछे एकखंभेको छोडकरदूसरे खंभेपर लिखाहै, संवत् ( १३४४ ) वर्षे-आषाडसुदि पूर्णिमायां देवश्री नेमिनाथचैत्ये-कल्याणिकत्रयस्यपूजार्थ--श्रे-श्रीधरतत्पुत्र-श्रे-गांगदेवेन विसलप्रियद्रमाणां ( १२०) श्रीनेमिनाथदेवस्य-भांडागारेनिक्षिप्तं-इसकेपास एक आलेके खंभेपर लिखा है-श्रीकल्याणत्रये-श्रीनेमिनाथ बिबानि-प्रतिष्टितानि-नवांगवृत्तिकार श्रीमदभयदेव सूरिसंतानीयश्री चंद्रसूरिभिः श्रे-सुमिग-श्रे-धीरदेवश्रे-गुणदेवस्यभार्या जइतश्री साहूपुत्रवइरापुनालुणा विक्रमखेताहरपतिकर्मटराणा करमदपुत्र खीमसिंह-तथावीरदेवसुत-अरसिंहप्रभृतिकुटुंबसहितेन गांगदेवेन कारितानि
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