SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तवारिख-तीर्थ-तारंगा. ( १०३ ) उंचातिमंजिलारखा, रंगमंडपकीएकतर्फसें-उपरतिमंजिलेतकजानेकारास्ताबनाहुवाहै, मगरकचेदिलवालोंकी हिम्मतनहीहोतीकितीसरीमंजिलतकचलेजाय. अकसरवीचमेंसेंहीलोटआते है, इसमंदिर कीकारीगरीदेखकर बडेबडेशंगतरासहेरान परेशानहोजाते है और तारीफकरतेहैसायत ! यहमंदिरदेवताओंकाबनायाहुवाहोगा. राजा कुमारपालकी कहांतकतारीफकरे जिसनेऐसामंदिरतामीर कराकर अपनेलिये रास्तास्वर्गकाखोलदिया, तीर्थकरअजितनाथमहाराजकी पांचहाथवडीसफेदरंगमूर्ति इसमेंतख्तनशीनहै, पूजाकरनेवालेलोग सीढीपरचढकर मूर्तिकेमस्तकपरतीलककरसकते है, मूर्त्तिकेनिलाडपर सोनेकापत्र-और-उसमेंजवाहिरातजडीहुइहै, हाथपांवोपरभी सोनेके पत्रलगेहुवे-जिसवख्त मूर्तिकाशिंगारकियाजाताहै मालूमहोताहैसाक्षाततीर्थकर अजितनाथमहाराज यहांपरआगये है,___ अगरतुम अपनीहमराह सितार-हारमोनियम-या-सारंगी-तबलेलायेहो-तो-मंदिरमेंबेठकर ब-खुबीइबादतकरो, किसीकिसमकी रोकटोक यहांपरनहीहै, तमामऊमरदुनियाके कारोबारमें खतमकिइ औरएशआराममें गायबरहे, अबचाहिये आकबतकाकुछ रास्तासुधारे, जिंदगीकाकोइभरोसानही यहमानींदबुलबुलेकेहै, दौलतआज है, कलनही, तीर्थकखजानेमें जोकुछरकम देनाहो-दो, ऐसामतकरनाकि-बखीलबनकर अपनेघरका रास्तालो, अगरतुमपरलोगमें कुछआरामचाहतेहो-बतौरधर्मकीराहपर देतेजाओ-यही-तुमारेशाथ चलेगा, मंदिरकेबहार एकबहुतउमदा बगीचाजिसमेआम-अनारसंतरे-जाम-औरकेलावगेराके द्रख्तखडेहै, गुलाब-चमेली-बेलामोतियावगेराके फुलभीकसरतसे यहांपदाहोतेहै औरहमेशादेवपुजनमें चढायेजातेहै, तारंगातीर्थका खजानाबहुतबडा और-वोआनंदजीकल्याणजीके नामसेमशहूरहै, मुनिम-गुमास्ते-नोकर-चा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy