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(१०४) तवारिख-तीर्थ-तारंगा. कर-सीपाहीघंटाघडीयाल-और नोबतखाना यहांपर मौजूदहै, इसकी जेरनिगरानी-जमानहालमें वडनगरके श्रावकोंके ताल्लुकहै, जोयहांसे करीब (१०) कोसके फासलेपरवाकेहै,__मंदिरकेबहार एकतालाव-बायेहाथकों कुंड-और-सामनेएक वावडीबनीहुइहै,-तालावकेआगे एकछोटापहाड-जिसकीचढाई करीब कोशकेहोगी इसपरएकछत्री औरउसमें तीर्थंकरोके कदमबने हुघेकुंडके आगेदुसराछोटापहाड जिसकीचढाइ करीब-आधाकोशके होगी इसपरभीछत्री-तीर्थंकरके-कदम-औरएकतर्फ कोटीशिला नामसें एकशिला मौजूदहै, यात्रीसबजगह जाकरजियारतकरे, यहमो-शिलानही-जिसकों वासुदेवउठातेहै, वहगेरमुल्कमेंहै तारंगापहाडपरएकतारणदेवीकाधामहै जहांअकसर गेरमजहबके लोगआया
करते है,
तारंगाका मंदिरकब तामीरकियागया इसपरगौरकियाजायतो हेमचंद्राचार्य-संवत्-(११६६) में मौजूदथे. संवत् (१२२९ ) मे उनकाइंतकालहुवा, राजाकुमारपालहेमचंद्राचार्यजीके बख्तहाजिरथा-जिसने उनकीधर्मतालीमपाकर तारंगातीर्थका मंदिरतामीर करवाया, तारंगा तीर्थकी जियारतकरके यात्री खेरालुकोवापिस लोटे, औररैलमेसवारहोफर वडनगर-वीशनगर रानदालाहोते फिरमेहसानाजंकशन आवे. औरआबुरोडजानेवाली ट्रेनमेंसवारहोवे, टेशनभांड-ऊंझासिद्धपुर-छापी-उमरदेशी-पालनपुर-चित्रासन-रोहऔर--मावल होतेहुवे आबुरोडजाय, रैलकिरायातेरह आनेलगते है, जिसकाइरदा पालनपुरदेखनेकाहो-वह-पालनपुर उतरे, बरना ! सिधा आबु रोड जाय,
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