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________________ ( ९८ ) तवारिख - तीर्थ - शंखेश्वर. मगर इसबातपरखयाल नही करतेकि - अधिष्ठायकदेव – जिसमूर्त्तिके रक्षकहोजाय - वो- मूर्त्ति बहुतकालतकभी कायमरहसकती है, धर्मशाला यहां बहुत बडी बनी हुइ है, मगरऊसकी मरम्मत होनादरकार है, तीर्थशंखेश्वरका कारोवारबतौर शाहाना - वनाहुवा मुनिम-गुमास्ते - नोकर-चाकर - घंटा - घडियाल - और नोबतखाना सबचीजें मौजूद है, पेस्तरइसतीर्थकी - जैरनिगरानी राधनपुरके श्रावकोंकीथी, मगरचंदसालसें शहर अहमदाबाद वालोंकी हो गई है, -यात्रीकों जोकुछरकम- खजानेशंखेश्वरजीके देनाहो यहांदेवे औरतीर्थ की जियारत हासिलकरके - व - जरीये बैलगाडी केवापिस झुंडटेशन आवे, वहांसेंरैलमें सवार होकर विरमगावजंकशन उतरे और विरमगांवसें भंकोडा-देतरोजहोते हुवेगेलडा - टेशनजाय. रैलकिरायातीनआनेनवपाइ, गेलडाटेशनसे तीर्थभोयणी - करीब पौनकोशके फा सलेपर है, ब- जरीयेवैलगाडी - या - पांव पैदलजाय, यहएक नयातीर्थ शुमार कियाजाताहै, औरइसकी दास्तानइसतरहहै, - (तवारिख तीर्थ - भोयणी, - ) • एकमरतबाका जिक्र है संवत् ( १९३० ) की सालमें एक किसानकेखेतमेजो कि- मौजेभोयणीका वाशिंदाथा. और जिसका नामकेवलपटेलथा, दुफेरकेवख्त उसकेनोकरकुवा खोदरहे थे, उसवख्तएक दमकुवेकेभीतर से बाजों की आवाज आनेलगी, लोगोनेताज्जुबकियाकि - यह - क्या - ! माजरा है, ? और अतराफकुवेके देखनेलगे कुछनही मालूमहुवा. जब अंदरकुवेके उतरेतोवहांसें औरभीज्यादह अवाजबाजोंकीआइ. लोगोने कहा ! यहांपरकुछ अजीब बात है, वे - फौरन ! कुवेकेबहार आये, औरदिलावर मर्ददो-चार - भीतरकु वेके उतरे देखते है – कुवेकी कुछ थोडीसीजमीन फटी और उसमेसें तीन मूर्ति Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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