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तारिख - तीर्थ - शंखेश्वर.
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मूलीरोड - वढवांणकैंप- लखतर - लीला पुररोड - सांवलीरोड - विरमगांव - और - विरमगावसे खारागोढा लाइनमेंसवार होकर झुंडटेशन जाना, रैलकिराया करीब सवारुपया लगताहै,
[ तवारिख - तीर्थ - शंखेश्वर, ]
झुंडटेशनसे (१५) कोशकेफासलेपर खुश्कीरास्ते बैलगाडीमें सवार होकर तीर्थशंखेश्वर कोंजाना. शंखेश्वरगांव बहुतवडानही लेकी ! तीर्थकी वजह से मशहुर है, जैन श्वेतांबरश्रावको के घरयहांदश - बारां- और बडाआलिशान जैनश्वेतांबरमंदिर यहांमानींदे स्वर्गविमानकेखडाहै, परकम्मामंदिरकी बहुतबडी - रंगमंउप-निहाय उमदा - और - फर्सशंगेमर्मरका लगाहुवादेखकरदिलखुश होगा, तीर्थंकरपार्श्वनाथ महाराजकी सफेद मूर्ति-करीब सवादोहाथकेबडी - इसमें तख्तनशीन है, गत चविशी नवतीर्थंकरमहाराजके जमाने में एक- अषाढी नामकेश्रावकने यहतामीर करवाइथी. जबकि - जरासिंधुके शाथ - कृष्नवासुदेवजीकी लडाइहुइथी और उसनेजव जइफीहोनेका - बान - कृष्नवासुदेवजी की फौजपर छोडाथा, - तमामफौज उसवख्त कृष्नवासुदेवजी की जइफहोगइथी. कृष्नवासुदेवजी ने इस -तीकरपार्श्वनाथजी की मूर्तिकास्नानजल लेकर अपनीफौजपरछिकाथाकि - फौरन ! उनकी फौज - ब - दस्तुरपहेलेके होशियार होगइथी, यह मूर्त्ति - पेस्तर बहुत नियामत बक्षनेवालीथी जबकि बहुतसे आकील - और - दानालोग मौजूदथे, और उनका एतकात धर्मपर मुस्तकीमथा, इसवजहसे उनकोंफौरनपरचामिलताथा, आजकल - वोबात नही है जो पेस्तरथी. कोइकोइइसदलीलकों भी पेंशकरते है कि-शंवेश्वरपार्श्वनाथजीकी इतनी पुरानी मूर्ति - इतनेकालतक कैसे रहसकी ?
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