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बयान-पोरबंदर-और-द्वारिका. (९१ )
ॐ तीर्थ द्वारिका. बंबइसे (३४२ ) मील-और-पोरबंदरसे (५६) मील-पश्चिमोत्तर द्वारिकानगरी-एकनिहायतपुरानीजगहहै, पौरबंदरसेद्वारिकातकखुश्किरास्ता बनाहुवाहै, जोलोगष्टीमरमें बेठना-नापसंद करतेहो उनकोखुश्कीरास्तेजानाही बेहत्तरहै, पेस्तरकेजमानमेंजवदश दशारवर वीर-पुरुष-समुद्रविजयजी-उग्रसेनजी-और वसुदेवजीयहोरहतेथे उसवख्तद्वारिका बडीरवनकपरथी, बडेवडे आलिशानजैन मंदिरयहां मौजूद थे, क्या ! उमदामहल--समुद्रविजयजीके -उग्रसेनजीके वसुदेवजीके-और--उनकीरानीयोंकेथे--जिसकी तारीफ बयानकरना अकलसेबइदहै. जमानेहालमेंजो द्वारिकामौजूदहै नयी आवादहुइहै--पेस्तर द्वारिकाकिसकदरझलाझल रौशनीलियेथी ? वहरौशनी-और--खूबसुरतीअबकहाहै ? बरायेनाम-एक छोटीसी पुरी-देखलो ! जमीनवेशक ! वहीहै-मगर-वे-खुशनशीब--और -दौलतमंदलोग अबनहीरहै, इसवख्तद्वारिकाकी मर्दुमशुमारीकुल्ल (५०००) मनुष्योंकी-आठ-दस-धर्मशाला-पांचसातस्कुले-काअस्पताल-पुलिस-और-जेलखाना-वगेरेमकान बनेहुवेहै, समुंदरकनारे-नमकबहुत औरइसीसबबसे शस्ताभीविकताहै, शिवायनमकके दूसरीचीजकी पैदाशयहांकमहोतीहै, गोमतीनामकी खाडीयहां बड़ी लंबीचलीगंइ-जोकि-पानीसे-हरहमेंश-तर-ब-तरबनीरहतीहै, कनारेइसके (९) घाट-बडीलागतके वनेहुवे-जिनकेनाम-संगमघाट-वसुदेवघाट-और-पांडवघाट-वगेरा, द्वारिकाकों वैदिकमजहब वालेभीतीर्थ मानतेहै, द्वारिकासें (१०) कोशआगे बेटद्वारिकाएकअलग--टापुहै, पेस्तरलिखआये द्वारिकानगरी-बहुनबडीथीअसलमे-ये-सब-उसीके अलगअलगाहस्से होगयेहै, जैसासमझो,
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