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________________ ( ९० ) बयान - पोरबंदर - और - द्वारिका. यहां मिल सकेगी. जिलेकाठियावाडमें एकमशहूर तिजारतीकस्बा - और- चारोतर्फइसके पकी दिवारघिरी हुई है, धोराजीसेडपलेट-भायाबदर- जामजोधपुर-साखपुर - और - रानावाव - होते हुवे पोरबंदरटेशनजाय. रैलकिराया - सवारूपया. जुनागढसे ( ९५ ) मील - पश्चिमकी तर्फ - समुंदरकनारे देशी राज्यकीराज्यधानी - पौरबंदरशहरजिसको बहुत लोग - सुदामापुर बोलते है यहीं है, पौरवंदरकी मर्दुमशुमारी - ( १८८०५) मनुष्योंकी - जिनमेकरीव (१००० ) जैनश्वेतांबरश्रावकलोग आवाद है, कइजैन श्वेतांबर मंदिर - और - ठहरनेकेलिये मकानवने हुवे है यात्री - जाकर देवदर्शनकरे. पौरवंदरकी चारों तर्फ पकाकोट - - और -- बहुत से मकान यहांपथरोंके बने हुवे है, राणासाहवके महेल - कचहरी - स्कूल - अस्पताल - और - धर्मशाला-बडी लागत के मकान है. पौरवंदरकी - तिजारत समुंदर के रास्ते - सिंध - बलुचीस्तान - फारस की खाडी - अरबस्तान -और- आफ्रिका के बंदरगाहोत होती है, हिंदमें - मुरत - भरूच - नवसारी - बंबइ-को -- कन-और- मलबारतक होती है, पौबंदरराज्य समुंदरकनारे बडीदूरतकलंवा फैलाहुवा मगर चोडाइमे (२४) मीलसें ज्यादहनही, जमीन - उपजाउ है. राज्यमेंतीन-चार - छोटी-छोटी - नदी बहती है औरलोग अमनचैनकररहे है, बंबइसे - जो-टीमर - वेरावल - मांगराल -पोरबंदर और - द्वारिका होती हुइ करांची जाती है उसीमें द्वारिकाजानेवालेयात्री पौरबंदर सें सवारहोवे. सेकंडक्लास पासेंजरकेलियेदोरूपये - और - थर्डकलासवालेकेलिये एकरूपया किराया लगेगा. ड्रीमरसे चढने उतरनेवाली जोछोटीनाव होती हैउसका किराया (४) आने अलगलगेंगे. - Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034925
Book TitleKitab Jain Tirth Guide
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages552
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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